नई दिल्ली: आने वाले समय में चेक के प्रारूप में बड़ा बदलाव हो सकता है. चेक पर यह भरने का भी कॉलम बनाया जा सकता है कि चेक किस उद्देश्य से दिया जा रहा है. देश भर में चेक बाउंस के बढ़ते मुकदमों में कमी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने और भी कई सुझाव दिए हैं. कोर्ट ने इस मामले में खुद संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है.


15 साल से लंबित गुजरात के एक चेक बाउंस केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने माना है कि चेक बाउंस के मुकदमे एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं. निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत दर्ज होने वाले इन मुकदमों को निपटाने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाने की जरूरत है. इसलिए, कोर्ट ने इस मसले पर संज्ञान लेते हुए भविष्य में इसे ‘Expeditious trial of cases under Section 138 of NI Act, 1881’ के नाम से सुनवाई के लिए लगाए जाने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस समय देश भर में चेक बाउंस के 18 लाख से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है गलत चेक देने के आरोपी को कोर्ट में पेश नहीं होना. शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध पते पर आरोपी को कोर्ट की तरफ से नोटिस भेजा जाता है. रजिस्टर्ड डाक, स्पीड पोस्ट के अलावा पुलिस को भी उस पते पर भेजा जाता है, लेकिन आरोपी फिर भी कोर्ट में पेश नहीं होता है. ऐसे में कोर्ट ने बैंकों से कहा है कि वह चेक देने वाले व्यक्ति की जानकारी शिकायतकर्ता और पुलिस को देने के लिए अलग से व्यवस्था बनाएं. आरोपी का ई-मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर और सही पता जैसी जानकारी उपलब्ध कराई जाए.


कोर्ट ने सुझाव दिया है कि सॉफ्टवेयर आधारित ऐसी व्यवस्था विकसित की जाए जिससे आरोपी तक कोर्ट का नोटिस पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके. कोर्ट ने यह भी कहा है कि आरोपी की अदालत में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए उसकी संपत्ति ज़ब्त करने जैसे कड़े कदम उठाए जाने पर भी विचार किया जाना चाहिए.


कोर्ट ने यह माना है कि कई बार चेक लेने वाला भी चेक का दुरुपयोग कर सकता है. इसलिए, चेक के प्रारूप में कुछ बदलाव ज़रूरी है. चेक में ऐसा कॉलम होना चाहिए जिसमें उसे दिए जाने की वजह भी दर्ज की जा सके. जजों ने कहा है कि रिजर्व बैंक को इस बारे में विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से कहा है कि वह चेक बाउंस के लंबित मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने के लिए अपने यहां विशेष कोर्ट बनाने पर भी विचार करें.


कोर्ट की कही ज्यादातर बातें फिलहाल सुझाव की शक्ल में हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मामले की विस्तृत सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है. लेकिन कोर्ट ने एक तरह से आगे की सुनवाई की रूपरेखा तय कर दी है. खुद संज्ञान लेकर की जा रही इस कार्रवाई में पक्ष बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी हाई कोर्ट, राज्यों के डीजीपी, नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी, रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन को नोटिस जारी किया है.


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