'विचारों की अभिव्यक्ति किसी उम्मीदवार को...', SC कॉलेजियम ने फिर की सुंदरेशन के नाम की सिफारिश
Supreme Court Collegium : न्यायपालिका के लिए प्रस्तावित उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति योग्यता और सत्यनिष्ठा होने पर संवैधानिक पद पर आसीन होने से वंचित नहीं करती है
Supreme Court Collegium : सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कहा है कि न्यायपालिका के लिए प्रस्तावित उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे तब तक संवैधानिक पद पर आसीन होने से वंचित नहीं करती है जब तक कि उसके पास योग्यता और सत्यनिष्ठा है. देश के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम में जज एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं.
कॉलेजियम ने कहा कि शीर्ष अदालत की संस्था ने पिछले साल 16 फरवरी को सुंदरेसन के नाम की सिफारिश की थी और 25 नवंबर, 2022 को सरकार से पुनर्विचार की मांग की थी. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया है, ‘‘जिस आधार पर सुंदरेसन की उम्मीदवारी पर पुनर्विचार की मांग की गई है, वह यह है कि उन्होंने सोशल मीडिया में कई मामलों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं, जो अदालतों के समक्ष चर्चा का विषय हैं.’’
सोशल मीडिया पर किये गये विचार व्यक्त कोई आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं
इसमें कहा गया है, ‘‘ सोमशेखर सुंदरेसन की उम्मीदवारी को लेकर आपत्ति पर विचार करने के बाद, कॉलेजियम का मत है कि उम्मीदवार के लिए सोशल मीडिया पर व्यक्त किये गये विचार, यह अनुमान लगाने के लिए कोई आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं कि वह पक्षपाती हैं.’’इसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. बयान में कहा गया है, ‘‘एक उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे एक संवैधानिक पद पर बने रहने के लिए तब तक अयोग्य नहीं बनाती है, जब तक कि उसके पास योग्यता और सत्यनिष्ठा है.’’इसमें कहा गया है कि कॉलेजियम का मानना है कि सुंदरेसन बंबई हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किए जाने योग्य हैं.
बयान में कहा गया है, ‘‘इसलिए कॉलेजियम बंबई हाई कोर्ट के जज के रूप में श्री सोमशेखर सुंदरेसन की नियुक्ति के लिए 16 फरवरी, 2022 की अपनी सिफारिश को दोहराने का संकल्प लेता है.’’बयान में यह भी कहा गया है कि बंबई हाई कोर्ट के कॉलेजियम ने चार अक्टूबर, 2021 को सुंदरेसन की पदोन्नति की सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने दूसरी बार दो अधिवक्ताओं अमितेश बनर्जी और साक्य सेन के नाम की सिफारिश कलकत्ता हाई कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए की है और कहा है कि सरकार इस प्रस्ताव को बार-बार वापस न करे.
सुप्रीम कोर्ट प्रस्ताव का अनुमोदन किया था
अधिवक्ता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज यू सी बनर्जी के बेटे हैं, जिन्होंने 2006 में उस आयोग की अध्यक्षता की थी जिसने 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड में किसी भी तरह की साजिश को खारिज कर दिया था. अधिवक्ताओं बनर्जी और सेन के नामों की सिफारिश 17 दिसंबर, 2018 को कलकत्ता हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा की गई थी और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 24 जुलाई, 2019 को इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया था.
ये भी पढ़ें : देश को पहला समलैंगिक हाई कोर्ट जज मिलने की संभावना बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दोबारा भेजा सरकार को नाम