देश को मिल सकता है पहला समलैंगिक हाई कोर्ट जज, Supreme Court कॉलेजियम ने भेजा सरकार को नाम
First Gay Judge: सौरभ किरपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बी एन किरपाल के बेटे हैं. सौरभ LGBTQ अधिकारों पर काम करते रहे हैं.
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First Gay Judge: वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल का नाम बतौर जज दिल्ली हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बी एन किरपाल के बेटे सौरभ LGBTQ अधिकारों पर काम करते रहे हैं. वह खुद भी घोषित रूप से समलैंगिक हैं. हाई कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से उनके नाम की सिफारिश 2017 में भेजी गई थी. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उस पर अंतिम निर्णय लेने में 4 साल लगा दिए. केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद सौरभ किरपाल इस पद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति होंगे जो सार्वजनिक रूप से खुद को समलैंगिक बताता है.
पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के चैंबर में बतौर जूनियर करियर की शुरुआत करने वाले सौरभ की छवि एक मेहनती और काबिल वकील की है. उनकी योग्यता पर मुहर लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के सभी 31 जजों ने सर्वसम्मति से उन्हें वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया. 2017 में हाई कोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस संजीव खन्ना और एस रविंद्र भाट के कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी उनका नाम केंद्र को भेजा. लेकिन केंद्र सरकार ने जवाब में बताया कि खुफिया ब्यूरो (IB) ने इस नियुक्ति के विरोध में रिपोर्ट दी है. उस रिपोर्ट में सौरभ के पार्टनर का विदेशी मूल का होना और दिल्ली में स्विस दूतावास के लिए काम करना, सुरक्षा के लिहाज़ से आपत्तिजनक बताया गया है. इसके बाद 2018 से 2021 के बीच 4 मौकों पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके बारे में निर्णय टाल दिया.
अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस यु यु ललित और जस्टिस ए एम खानविलकर की कॉलेजियम ने एक बार फिर उनका नाम केंद्रीय कानून मंत्रालय के पास भेज दिया है. यह देखने वाली बात होगी कि पहले सौरभ किरपाल के नाम पर आपत्ति जता चुकी सरकार का अब क्या रुख होता है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद सरकार के पास बहुत विकल्प नहीं होता. वह या तो उस पर सहमति देती है या निर्णय को लटकाए रखती है. पिछले कुछ समय में न्यायपालिका और सरकार में जिस तरह का समन्वय देखने को मिला है, उसके मद्देनजर यही उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह ऐतिहासिक मौका आ जाएगा, जब LGBTQ वर्ग का कोई व्यक्ति इस उच्च संवैधानिक पद पर आसीन होगा.
सौरभ किरपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स में ऑनर्स के अलावा विदेश के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों से कानून की पढ़ाई की है. समलैंगिकता को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भी वह सक्रिय रहे. उन्होंने याचिकाकर्ता नवतेज जौहर के लिए कोर्ट में जिरह की. माना जा रहा है कि उनकी हाई कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति समाज में इस वर्ग के बारे में स्थापित धारणाओं को तोड़ने में मददगार होगी. LGBTQ वर्ग के वकीलों को प्रोत्साहित करेगी. समाज में स्वीकार्यता बढ़ने से दूसरे क्षेत्रों में भी इस वर्ग के लोग मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे.
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