कॉलेजियम पर कानून मंत्री किरण रिजिजू ने CJI को लिखा पत्र तो भड़का विपक्ष, CM केजरीवाल बोले- यह बहुत ही खतरनाक है
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका की खींचतान के बीच विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर कई आरोप लगाए हैं. कांग्रेस ने कहा- रिजिजू का पत्र ‘जहर की गोली’ है.
Supreme court collegium News: अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका की खींचतान के बीच विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) पर कई आरोप लगाए हैं. कांग्रेस (Congress) की ओर से कहा गया कि सरकार, न्यायपालिका पर ‘कब्जा करने के इरादे’ से उसे ‘धमका’ रही है. कांग्रेस पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि कानून मंत्री किरण रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) द्वारा कॉलेजियम प्रणाली (Collegium system) के पुनर्गठन के लिए लिखा गया पत्र न्यायपालिका के लिए ‘जहर की गोली’ है.
कांग्रेस पार्टी ने ‘जहर की गोली’ वाला आरोप तब लगाया है, जब कानून मंत्री किरण रिजिजू ने चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट और कोर्ट के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया. किरण रिजिजू ने प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि इससे न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी.
विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार पर लगाए आरोप
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘पहले उपराष्ट्रपति ने हमला बोला. कानून मंत्री ने हमला किया. हम सब देख रहे हैं. यह न्यायपालिका के साथ सुनियोजित टकराव है, ताकि उसे धमकाया जा सके और उसके बाद उस पर पूरी तरह से कब्जा किया जा सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कॉलेजियम में सुधार की जरूरत है, लेकिन यह सरकार उसे पूरी तरह से अपने अधीन करना चाहती है. यह उपचार न्यायपालिका के लिए ‘जहर की गोली’ है.’’
'भारत का संविधान सर्वोच्च, उससे ऊपर कोई नहीं'
वहीं, चीफ जस्टिस (CJI) को लिखे पत्र को सही ठहराते हुए किरण रिजिजू ने ट्वीट किया, ‘‘CJIको लिखे गए पत्र की सामग्री सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणी और निर्देश के अनुरूप है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सुविधा की राजनीति सही नहीं है, खासतौर पर न्यायपालिका के नाम पर. भारत का संविधान सर्वोच्च है और उससे ऊपर कोई नहीं है.’’
किरण रिजिजू ने कहा कि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (NJAC) को रद्द करने के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है.
केजरीवाल पर रिजिजू ने की टिप्पणी
किरण रिजिजू ने यह टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए की. केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की उच्चतम न्यायालय से की गई मांग को ‘‘बेहद खतरनाक’’ करार दिया.
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे. यह सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द किए जाने के दौरान दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है. उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के प्रक्रिया ज्ञापन (MOP) में संशोधन करने का निर्देश दिया था.’’
केजरीवाल ने यह बात कही
इससे पहले, केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘‘यह बहुत ही खतरनाक है. न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का निश्चित तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.’’
बीजेपी नेताओं ने किए थे ये दावे
गौरतलब हो कि पिछले साल नवंबर में किरण रिजिजू ने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली संविधान से ‘‘बिल्कुल अलग व्यवस्था’’ है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी दावा किया था कि न्यायपालिका, विधायिका की शक्तियों में अतिक्रमण कर रही है.
यह लिखा था कानून मंत्री रिजिजू के पत्र में
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कथित तौर पर चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुझाव दिया कि सरकार के प्रतिनिधियों को भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल किया जाना चाहिए. कानून मंत्री की ओर से यह भी कहा गया कि राज्य के प्रतिनिधियों को भी कोर्ट के कॉलेजियम का हिस्सा होना चाहिए. रिजिजू के मुताबिक, इससे 25 साल पुराने कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही आएगी. बता दें कि कॉलेजियम चीफ जस्टिस की नियुक्ति पर फैसला करता है.
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