सतलज यमुना लिंक नहर विवाद पर SC की पंजाब सरकार को फटकार- 'हमें सख्ती करने के लिए मजबूर नहीं करें'
SYL Row: पंजाब और हरियाणा के बीच इस विवाद की शुरुआत 1 नवंबर, 1966 को राज्य पुनर्गठन के बाद से ही शुरू हो गई थी. इस विवाद का अभी तक पटाक्षेप नहीं हो सका है.
Supreme Court: हरियाणा और पंजाब सरकार के बीच चले आ रहे सतलज यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आप हमें सख्त एक्शन लेने के लिए मजबूर नहीं करें. हम नहीं चाहते हैं कि हम इस मुद्दे पर कोई सख्त आदेश पारित करें, इस मामले में राजनीति नहीं होना चाहिए.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हरियाणा में SYL नहर बनाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. पंजाब भी समस्या का हल निकालने की दिशा में काम करे. कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी रिपोर्ट मांगी कि पंजाब में SYL नहर के निर्माण के मौजदा हालात कैसे है.
केंद्र सरकार को दखल का आदेश
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के विवाद का हल निकालने के लिए पहल करे. साथ ही केंद्र पंजाब में नहर बनाने के लिए सर्वे शुरू करवाए. पंजाब सरकार सर्वे प्रक्रिया में सहयोग करे. मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 के दूसरे हफ्ते में होगी.
क्या है सतलज यमुना लिंक विवाद?
पंजाब और हरियाणा के बीच सतलज यमुना लिंक विवाद की शुरुआत 1 नवंबर, 1966 को राज्य पुनर्गठन के बाद से ही शुरू हो गया था. राज्य पुनर्गर्ठन अधिनियम के मुताबिक जब पंजाब से अलग होकर हरियाणा अस्तित्व में आया तो दोनों राज्यों के बीच कई बंटवारों में से एक जल बंटवारा नहीं हो सका. उस समय तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दखल के बाद यह तय हुआ कि दोनों राज्यों के बीच नहर खोदी जाएगी ताकि दोनों राज्यों को पानी मिल सके. इस काम को 1991 तक पूरा हो जाना था लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका.
भारत सरकार ने बाद में न्यायाधीश वी. बालकृष्ण इराडी की अध्यक्षता में वर्ष 1986 में जल विवाद के समाधान के लिये इराडी अधिकरण का गठन किया. अधिकरण ने वर्ष 1987 में पंजाब और हरियाणा को मिलने वाले पानी के हिस्से में क्रमशः 5 मिलियन एकड़ फीट और 3.83 मिलियन एकड़ फीट की बढ़ोतरी की सिफारिश की लेकिन फिर भी विवाद का पटाक्षेप नहीं हो सका.
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