Maharashtra News: असली शिवसेना किसकी? शिंदे-उद्धव गुट के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, संविधान पीठ में होगी बहस
Supreme Court News: शिवसेना का चुनाव चिन्ह उद्धव ठाकरे गुट के पास बरकार रहेगा या उस पर एकनाथ शिंदे गुट का अधिकार होगा, इस बारे में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
Shinde-Uddhav Dispute Hearing in SC: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज असली शिवसेना (Shiv Sena) के मुद्दे पर सुनवाई होनी है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की संविधान पीठ (Constitution Bench) मामले की सुनवाई करेगी. महाराष्ट्र (Maharashtra) की सत्ता पर काबिज एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट ने सुप्रीम कोर्ट में असली शिवसेना होने के दावे को लेकर याचिका दायर की थी. असली शिवसेना उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट की है या शिंदे गुट की, इस बारे में चुनाव आयोग (ECI) इसीलिए फैसला नहीं कर पाया है क्योंकि मामला शीर्ष अदालत में लंबित है.
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच तीन अहम बिंदुओं पर विवाद है- असली शिवसेना कौन है? शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर किसका अधिकार होगा और बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाला एकनाथ शिंदे गुट संवैधानिक है या असंवैधानिक? मामले पर सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित ने जिन पांच सदस्यों की संविधान पीठ गठित की है, उनमें जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस नरसिंहमन शामिल हैं.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि विवाद पिछले 20 जून को शुरू तब हुआ था जब शिवसेना के 15 और 10 निर्दलीय विधायकों ने तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ बगावती रुख के अपनाकर पहले गुजरात के सूरत के लिए प्रस्थान किया और फिर वहां से वे असम के गुवाहाटी पहुंच गए थे. 23 जून के एकनाथ शिंदे ने उनके साथ 35 विधायकों के समर्थन की बात कही थी. इसके बाद शिंदे ने कहा कि उनके साथ शिवसेना के 55 में से 39 विधायक हैं. देवेंद्र फडणवीस की मांग पर 28 जून के राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे से बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहुमत परीक्षण पर रोक से इनकार के बाद 29 जून को उद्धव ठाकरे ने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया था. 30 जून को एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने.
पिछले चार अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक केस कोर्ट में लंबित है तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले. इसके बाद तीन बार सुनवाई टल गई. 23 अगस्त को मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को सौंप दिया गया था.
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