राम जन्मभूमि विवाद पर SC में जल्द हो सकती है सुनवाई, 2010 से लंबित है केस
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर जल्द सुनवाई शुरु हो सकती है. साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर जल्द सुनवाई शुरु हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राम मंदिर-बाबरी मजिस्द भूमि विवाद मामले में दोनों पक्षों की याचिकाओं समेत सभी याचिकाओं की जल्द सुनवाई की जाएगी. साल 2010 से अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई शुरू करने का आग्रह किया जिस पर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम इस बारे में निर्णय करेंगे.’’ स्वामी ने अपनी दलील में कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुख्य अपीलें उच्चतम न्यायलय में सात सालों से लंबित हैं और उन पर शीघ्र सुनवाई की जरूरत है. अपनी दलील में उन्होंने यह भी कहा कि उस स्थान पर बिना किसी परेशानी के पूजा अर्चना के उनके अधिकार के पालन के लिए उन्होंने पहले भी अलग से एक याचिका दायर की थी.
Supreme Court decides to list the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid matter as soon as possible, on a petition by Subramanian Swamy. pic.twitter.com/6aMEyyCLJp
— ANI (@ANI_news) July 21, 2017
स्वामी ने कोर्ट में दी थी जल्द सुनवाई की अर्जी
इसी साल मार्च में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोज सुनवाई से इनकार कर दिया था. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की अर्जी पर कहा था कि अभी हमारे पास इस केस की जल्द सुनवाई करने का वक्त नहीं है. हालांकि आज सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई के लिए कह दिया है.
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाद को सुलझाने के लिए एक बीच का रास्ता निकाला था, लेकिन उस फैसले के बाद भी स्थिति अभी 7 साल पहले वाली ही बनी हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था, राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को, राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था.