Supreme Court ने मां के हक में सुनाया बड़ा फैसला, बच्चे का उपनाम तय करने का दिया अधिकार
Supreme Court on Surname: सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे के उपनाम को लेकर मां के हक में फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पति की मौत के बाद बच्चे का सरनेम तय करने का अधिकारी मां को है.
Supreme Court on Surname: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में गुरुवार के दिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पुनर्विवाह करने वाली महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें कहा गया है कि 'बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक (Natural Guardian) होने के नाते मां को अपने बच्चे का उपनाम (Surname) तय करने का अधिकार है.' यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि 'अपने पहले पति की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने पर पहले पति से पैदा संतान को अपने नए परिवार में शामिल करने से नहीं रोका जा सकता है. बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को उसके परिवार और उपनाम तय करना का अधिकार है.'
बच्चे के सरनेम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 'दस्तावेजों में दूसरे पति का नाम 'सौतेला पिता' के रूप में शामिल करना लगभग क्रूर और नासमझ है, इससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान पर असर पड़ेगा.' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जैविक मां और बच्चे के जैविक दादा-दादी के बीच एक बच्चे के उपनाम पर विवाद पर आया था.
दरअसल पति की मौत के बाद एक महिला ने दूसरी शादी कर ली थी. जिसके बाद बच्चे के सरनेम को लेकर विवाद हो गया. इस पर मां ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें बच्चे के मूल उपनाम को बहाल करने का आदेश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को बताया क्रूर
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार कहा गया था कि जहां कहीं भी रिकॉर्ड की अनुमति होगी वहां प्राकृतिक पिता का नाम दिखाया जाएगा. वहीं यह भी कहा गया था कि मां के नए पति के नाम का "सौतेला पिता" के रूप में उल्लेख किया जाएगा.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट (Andhra Pradesh High Court) के आदेश को क्रूर बताते हुए कहा है कि इससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और नए परिवार में सहज होने में काफी मुश्किल पैदा कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को बच्चे का उपनाम तय करने के साथ ही उसे गोद लेने के छोड़ने का भी अधिकार दिया है.
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