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Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, तय होंगी गाइडलाइन

SC On Bulldozer Actions: जमीयत उलेमा ए हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा था कि नियमों का उल्लंघन कर देश भर में बुलडोजर चलाए जा रहे हैं.

SC On Bulldozer Actions: देश भर में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार (13 नवंबर, 2024) को फैसला देगा. कोर्ट ने कहा है कि वह पूरे देश में लागू होने वाले दिशानिर्देश बनाएगा. इस मामले को सुनते हुए 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई थी. वह रोक अभी जारी है. कोर्ट के फैसले के बाद अब उसके मुताबिक ही बुलडोजर कार्रवाई हो सकेगी.

फैसला सुरक्षित रखते समय कोर्ट ने साफ किया था कि वह सिर्फ उसी समाधान की बात करेगा, जो पहले से कानून में मौजूद है. कोर्ट ने कहा था कि कोई भी कार्रवाई नियमों के मुताबिक ही होनी चाहिए. इसके लिए वह गाइडलाइंस बनाएगा. सड़क, फुटपाथ वगैरह पर हुए अवैध निर्माण को कोई संरक्षण नहीं दिया जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह ऐसा कोई आदेश नहीं देगा, जो व्यवस्थित तरीके से अतिक्रमण करने वालों के लिए मददगार हो.

‘न कोई नोटिस दिया जाता है, न जवाब देने का मौका’

जमीयत उलेमा ए हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि नियमों का उल्लंघन कर देश भर में बुलडोजर चलाए जा रहे हैं. किसी पर अपराध का आरोप लगने पर उसे सबक सिखाने के लिए उसका घर गिरा दिया जा रहा है. न कोई नोटिस दिया जाता है, न जवाब देने का मौका. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगना उसका मकान गिराने का आधार नहीं हो सकता. यह 'बुलडोजर जस्टिस' है. 

अवैध निर्माण करने वाले को मिलनी चाहिए 10 दिन की मोहलत

जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने 3 राज्य सरकारों की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखी थीं. उन्होंने यूपी, एमपी और राजस्थान का पक्ष रखते हुए कहा था कि वह म्युनिसिपल नियमों के पालन के पक्ष में हैं. किसी निर्माण पर कार्रवाई से पहले नोटिस भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. अवैध निर्माण करने वाले को सुधार के लिए 10 दिन का समय देना चाहिए.

‘अवैध निर्माण हिंदू का हो या मुस्लिम का कार्रवाई होनी चाहिए’

मेहता ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता ऐसी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे राज्य सरकारें एक ही समुदाय को निशाना बना रही हैं. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था, "अगर कहीं दो अवैध ढांचे हैं. वहां आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ एक को गिराते हैं तो सवाल उठेंगे ही." जस्टिस गवई ने कहा था, "हम एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं. अवैध निर्माण हिंदू का हो या मुस्लिम का कार्रवाई होनी चाहिए."

‘10 से 15 दिनों में सुधार कर सकेंगे लोग’

जजों ने कहा था कि सीधे किसी का मकान गिरा देना गलत है. अगर लोगों को 10-15 दिन का समय मिलेगा, तो वह अपने निर्माण में सुधार कर सकेंगे. अगर वहां सुधार संभव नहीं है, तब अंतिम विकल्प के रूप में ही डिमोलिशन होना चाहिए. डिमोलिशन से पहले लोगों को समय मिलना चाहिए. कहीं एक परिवार वर्षों से रह रहा हो तो वह अचानक वैकल्पिक घर का प्रबंध नहीं कर सकता. जजों ने यह भी कहा था कि समय मिलने पर लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे.

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने तय किए थे दिशा निर्देश 

6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की ही एक दूसरी बेंच ने बिना नोटिस मकान गिराए जाने के एक मामले में याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था. 6 नवंबर को आए इस फैसले में तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सड़क चौड़ी करने के लिए मकानों को गिराए जाने को लेकर दिशा निर्देश तय किए थे. अब जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच हर तरह के बुलडोजर एक्शन को लेकर दिशा निर्देश तय करेगी.

यह भी पढ़ें- CISF को मिलेगी पहली महिला बटालियन, गृह मंत्रालय की मंजूरी, ट्रेनिंग और सिलेक्शन प्रक्रिया भी शुरू

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