भोपाल: किसान आंदोलन और किसान कानूनों पर आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोर्ट कल फिर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की और कोशिश की कि रास्ता निकल आए. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जो किसान यूनियन का मत है, उस दृष्टि से कई प्रस्ताव भी उनको दिए गए, लेकिन उनके मन में कानून वापस लेना ही है, इसलिए किसी फैसले पर हम नहीं पहुंच पाए.


कृषि मंत्री ने कहा, "15 जनवरी को किसानों के साथ बैठक है. अभी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पहले आने दीजिए." दिल्ली से मध्य प्रदेश के भोपाल के राजगढ़ पहुंचे नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के आंदोलन पर कहा, "किसान आंदोलन पर स्वयं फैसला करके आए हैं. सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द कोई हल निकले और आंदोलन समाप्त हो. हमने इनको ऑफर किया था एक समिति बना देते हैं, जिसमें किसान भी रहें अफसर भी रहें और मंत्री भी रहें."


नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "कानून के जो प्रावधान किसानों के लिए प्रतिकूल हैं, सरकार उसमें संशोधन के लिए तैयार हैं. बार-बार सरकार की तरफ से आग्रह हो रहा है. ये भी आग्रह हुआ कि 60 साल के ऊपर के जो प्रदर्शनकारी हैं, उन्हें वापस भेजा जाए. किसान यदि आंदोलन पर हैं, सर्दी का मौसम है और कोरोना का खतरा है. इसके लिए सरकार की तरफ से बार-बार आग्रह किया गया है."


उन्होंने कहा कि जब कानून पर चर्चा होगी तभी तो यह पता चलेगा कि कौन सा प्रावधान किसानों के खिलाफ है. अदालत में जब चर्चा चल रही है, तो उस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है. कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे पूरी आशा है कि चर्चा के माध्यम से हल जरूर निकलेगा.


सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा
किसान आंदोलन और कृषि कानून मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल आदेश देगा. आज कोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि वह कानून के अमल पर रोक लगाएगा और मसले के हल के लिए कमेटी बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं. अदालत ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं. आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?


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