निजता का अधिकार क्या है...महुआ मोइत्रा मामले में क्यों हो रही है चर्चा? समझें
Right to Privacy: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा गुरुवार (2 नवंंबर) को एथिक्स कमिटी के सामने पेश हुईं थी. उनसे पूछे गए सवालों पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. ऐसे में निजता के अधिकार को लेकर बहस होने लगी है.
![निजता का अधिकार क्या है...महुआ मोइत्रा मामले में क्यों हो रही है चर्चा? समझें Supreme Court decision on right to privacy parliament ethics committee mahua moitra case निजता का अधिकार क्या है...महुआ मोइत्रा मामले में क्यों हो रही है चर्चा? समझें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/11/02/1c00b1f291e425a9ee97e3b448b295a41698934430928708_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Mahua Moitra Cash for Query Row: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर गुरुवार (2 नवंबर) को एथिक्ट कमेटी का सामने पेश हुईं थीं. बैठक में विपक्षी सांसदों ने कमेटी पर निजी सवाल पूछने का आरोप लगाया. बीएसपी सांसद दानिश अली ने नाराजगी जताते हुए एथिक्स कमेटी पर आरोप लगाया कि उन्होंने महुआ मोइत्रा से पूछा रात में किससे बात होती थीं? कौन किससे बात करता है? क्या बात करता है? इस तरह के अनैतिक सवाल किए जा रहे थे.
क्या है निजता का अधिकार?
ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि 'निजता का अधिकार' क्या है और इसके तहत क्या कुछ आता है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार का हिस्सा है. संविधान के भाग-3 में मौलिक अधिकारों का वर्णन है, जिसकी रक्षा का दायित्व सुप्रीम कोर्ट के ऊपर होता है.
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने 'निजता के अधिकार' को मौलिक अधिकार कहा था. उन जजों में मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जेएस खेहर, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम सप्रे, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एस अब्दुल नजरी शामिल थे. उस समय जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि 'निजता का अधिकार' लोगों की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ मामला है.
निजता का अधिकार के तहत क्या आता है?
एक व्यक्ति के जीवन में उसकी गरिमा की रक्षा करने के लिए 'निजता का अधिकार' बहुत जरूरी है. यह अधिकार हमें अपने पर्सनल जीवन में दूसरों के अनावश्यक और गलत हस्तक्षेप से बचाता है.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, 'निजता के अधिकार' में किसी व्यक्ति का पसंद-नापसंद, उनका पारिवारिक जीवन, शादी या कोई साथी चुनने की आजादी, बच्चे पैदा करने का फैसला, जिंदगी को अपने तरीके से जीने की आजादी, समलैंगिकता पर किसी व्यक्ति की राय, जैसे कई मसले शामिल हैं. कोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर भी निजता के अधिकारों का दावा कर सकता है.
निजता के अधिकार का भी अपना एक दायरा है. यदि किसी शख्स ने कोई अपराध किया है तो वह 'निजता' की दलील देकर जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)