नई दिल्ली: देश भर के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जारी रहेगी या उन्हें रद्द कर दिया जाएगा? सुप्रीम कोर्ट इस पर कल सुबह 10.30 बजे फैसला देगा. याचिकाओं में देश में कोरोना के हालात का हवाला देते हुए यूजीसी के उस निर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर तक परीक्षा पूरी करने के लिए कहा गया है. यूजीसी ने जवाब में कहा है कि उसने छात्रों के भविष्य के मद्देनजर ही ये निर्देश जारी किया है.


क्या है मामला


प्रणीत समेत 31 छात्रों,  कानून के छात्र यश दुबे,  शिवसेना की युवा इकाई युवा सेना, पश्चिम बंगाल के कॉलेज शिक्षकों की एक संस्था के अलावा भी कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि देश में  कोरोना के मद्देनजर यूजीसी के निर्देश गलत हैं. अभी परीक्षा कराने से छात्रों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. जिस तरह से सीबीएसई की परीक्षा में एवरेज मार्किंग के जरिए रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया गया था, वैसा ही इस मामले में हो. जवाब में यूजीसी ने दलील दी है कि अंतिम वर्ष की परीक्षा के आयोजन का फैसला छात्रों के हित में ही लिया गया है. छात्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षा का विकल्प दिया जा रहा है. उनके स्वास्थ्य को बिना किसी खतरे में डाले परीक्षा ली जाएगी.


याचिकाकर्ताओं की दलील


अलग-अलग याचिकाकर्ताओं के लिए पेश अभिषेक मनु सिंघवी, अलख आलोक श्रीवास्तव और दूसरे वकीलों ने कहा कि यूजीसी ने हालात पर बिना सोच-विचार किए गाइडलाइंस जारी कर दी है. देश में 16 लाख से ज़्यादा कोरोना के मामले हो चुके हैं. हर दिन हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं. अगर कॉलेज की परीक्षाओं का आयोजन नहीं होगा तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा. सुनवाई के दौरान यह दलील भी दी गई कि कई विश्वविद्यालय ऑनलाइन परीक्षा कराने में सक्षम नहीं है. उनके पास इतनी सुविधा नहीं है.


गृह मंत्रालय परीक्षा के पक्ष में


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से 20 जुलाई को जारी उन दिशा निर्देशों का हवाला दिया, जिनमें अभी भी लोगों के एक जगह पर जमा होने और स्कूल-कॉलेजों को खोलने से मना किया गया है. इस पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करने को कहा. जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने शिक्षा मंत्रालय के आग्रह पर अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा के आयोजन के लिए शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की अनुमति दी है. उनको यूजीसी के निर्देशों के मुताबिक परीक्षा के आयोजन के लिए 'अनलॉक 3' के गाइडलाइन से छूट दी जा रही है.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देश के लाखों कॉलेज छात्रों की निगाह टिकी है. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच यह तय कर देगी कि परीक्षाएं होंगी या उन्हें टाल दिया जाएगा या फिर उन्हें रद्द कर औसत अंकों (एवरेज मार्किंग) के आधार पर परिणाम घोषित किए जाएंगे.


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