ED निदेशक का कार्यकाल विस्तार अवैध...SC के इस फैसले पर विपक्ष का केंद्र पर हमला, अमित शाह बोले- वे गलतफहमी में हैं | बड़ी बातें
ED Director News: सुप्रीम कोर्ट की ओर से ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल विस्तार अवैध ठहराये जाने के बाद सियासी घमासान शुरू हो गया है.
ED Director Tenure: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के चीफ संजय कुमार मिश्रा (Sanjay Kumar Mishra) के तीसरे सेवा विस्तार को मंगलवार (11 जुलाई) को अवैध करार दिया है. इस मामले के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को लोकतंत्र की जीत करार दिया है. जिसपर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पलटवार किया. जानिए इस मामले से जुड़ी बड़ी बातें.
1. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि हमने 2021 में ही संजय मिश्रा का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का आदेश दिया था. इसके बावजूद कानून लाकर उसे बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि बदलाव संवैधानिक तरीके से किया गया है, लेकिन मौजूदा ईडी निदेशक के सेवा विस्तार को सही नहीं ठहराया जा सकता. ये सेवा विस्तार अवैध है.
2. कोर्ट ने कहा कि इस साल एफएटीएफ की ओर की जा रही संबंधित समीक्षा के मद्देनजर और सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए संजय मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा. इस दौरान केंद्र सरकार नए निदेशक का चयन कर ले. 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2023 तक निर्धारित था.
3. संजय कुमार मिश्रा 2018 में ईडी निदेशक बने थे. जिनका कार्यकाल 2020 में खत्म होना था. हालांकि केंद्र सरकार ने उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया था. केंद्र के इस फैसले को एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर 2021 को कहा था कि संजय मिश्रा का विस्तारित कार्यकाल 18 नवंबर को खत्म हो रहा है. इसलिए अब इसमें दखल नहीं दिया जाएगा, लेकिन उनका कार्यकाल आगे न बढ़ाया जाए.
4. इसके बाद केंद्र सरकार 14 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए एक अध्यादेश लेकर आई. जिसके तहत ईडी और सीबीआई प्रमुखों को दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल का सेवा विस्तार दिया जा सकता है. मिश्रा का कार्यकाल इसी के आधार पर फिर से एक साल के लिए बढ़ाया गया. नवंबर 2022 में उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था.
5. केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले समेत अन्य शामिल हैं. उन्होंने याचिका में केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग करके लोकतंत्र की बुनियादी संरचना को नष्ट करने का आरोप लगाया था.
6. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए विपक्षी दलों ने केंद्र पर जोरदार हमला बोला. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये फैसला सरकार के मुंह पर तमाचा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का यही मकसद था कि ईडी निदेशक को गैरकानूनी तरीकों से सेवा विस्तार दिया जाए.
7. कांग्रेस सांसद रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ करते आ रहे हैं. जिस तरह से ईडी को अलग-अलग राजनीतिक दलों पर छोड़ा गया, प्रताड़ित किया गया, प्रजातंत्र की मूलभूत संस्थाओं को हिलाया गया, प्रजातंत्र को कमजोर किया गया. ये सब आज साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि मेरे विचार में कोर्ट को ईडी व सीबीआई निदेशक के सेवा विस्तार के कानून की वैधता को सही ठहराने वाले निर्णय पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.
8. विपक्ष पर पलटवार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये महत्वपूर्ण नहीं है कि ईडी का निदेशक कौन है, क्योंकि जो कोई भी इस पद पर होगा, वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले परिवारवादियों के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा. ईडी मामले पर कोर्ट के फैसले पर खुशी मना रहे लोग विभिन्न कारणों से भ्रम में हैं. सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) अधिनियम में संशोधन, जिसे संसद की ओर से विधिवत पारित किया गया था, उसे बरकरार रखा गया है.
9. आरजेडी ने कहा कि ईडी निदेशक का एक्सटेंशन रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करता है. आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि मुझे नहीं पता कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देगी. सबसे पहले उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.
10. आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि तीसरी बार कार्यकाल बढ़ाने से संकेत मिलता है कि वे बीजेपी की राजनैतिक मदद कर रहे थे. वहीं जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी की ओर से ईडी को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में और आर्थिक डिफॉल्टरों को संरक्षण देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.
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