(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अभिषेक बनर्जी मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, कलकत्ता HC जज के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी याचिका पर विचार करने से इनकार
MBSS की आरक्षित श्रेणी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में कथित घोटाले से संबंधित सभी याचिकाओं को 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाथ में ले लिया था.
Supreme Court on TMC Abhishek Banerjee Plea : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 फरवरी) को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी की उस याचिका पर विचार नहीं कर सकता जिसमें 'लगातार राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार देने' के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ उचित कार्रवाई को लेकर निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डायमंड हार्बर से सांसद और तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी की याचिका को उन अन्य अर्जी के साथ स्वत: संज्ञान मामले के साथ संबद्ध किया जाएगा, जिसकी सुनवाई 5 न्यायाधीशों की पीठ कर रही है. शीर्ष अदालत ने एमबीबीएस की आरक्षित श्रेणी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में कथित घोटाले से संबंधित सभी याचिकाओं को 29 जनवरी को अपने हाथ में ले लिया था. इससे पहले सीबीआई जांच कराने के मुद्दे पर कलकत्ता हाई कोर्ट की दो पीठ में टकराव की स्थिति पैदा हो गया था.
विवाद निपटाने को छुट्टी के दिन भी हुई थी सुनवाई
शीर्ष अदालत की 5 न्यायाधीशों की पीठ इससे पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था. खंडपीठ ने सीबीआई जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था.
राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार देने से रोकने का आग्रह
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने शुक्रवार (9 फरवरी) को बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय 'लगातार राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार' दे रहे हैं और उन्हें इस तरह के बयान देने से रोका जाना चाहिए.
सिंघवी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश पारित किया जाना चाहिए कि आवेदक/याचिकाकर्ता (बनर्जी) के खिलाफ ''अदालत परिसर के भीतर या बाहर एकल न्यायाधीश की टिप्पणी से प्रतिवादियों (सीबीआई और ईडी) की तरफ से की गई जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए.'' उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा था कि न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को बनर्जी से जुड़े मामले के बारे में बताया था और इस पर गौर करने की जरूरत है.
जज के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देने का अनुरोध कर रहे- सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''आप (सिंघवी) 'राजनीति से प्रेरित' साक्षात्कारों के लिए एक न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आदेश देने का अनुरोध कर रहे हैं. हमें इस पर नोटिस जारी नहीं करना चाहिए.'' जब सिंघवी ने कहा कि वह हाईकोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ विशेष अपील के लिए दबाव नहीं डालेंगे, तो पीठ ने कहा कि याचिका को स्वत: संज्ञान मामले के साथ संबद्ध किया जायेगा.
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ से स्थानांतरित क्यों चाहते हैं?
वरिष्ठ वकील ने कहा कि हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ से मामले को स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर विचार किया जा सकता है. पीठ ने कहा, ''यदि आप न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के व्यवहार से व्यथित हैं तो हमें न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ से कुछ स्थानांतरित क्यों करना चाहिए?''
वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया कि क्योंकि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने टीएमसी नेता के मामले के बारे में बताया था. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''हम आपके मामले को 5 न्यायाधीशों की पीठ वाले मामले के साथ संबद्ध कर रहे हैं.''
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