Delhi-Centre dispute hearing postponed: सुपीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्राशासनिक सेवाओं और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित विधायी मुद्दे को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच जारी विवाद की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगले माह की 24 तारीख तक बढ़ा दी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को अनुरोध पेश किया कि वह अधिकारिक काम के लिए 7 नवंबर से लेकर 17 नवंबर तक विदेश यात्रा पर रहेंगे जिसके कारण वह 9 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित नहीं रह सकते है.
मेहता से अनुरोध मिलने के बाद न्यायलय की पीठ ने केंद्र और दिल्ली के बीच जारी विवाद की आगे की सुनवाई की तारीख अगले माह नवंबर के लिए टाल दी है.जबकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 27 सितंबर को कहा था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में दिल्ली और केंद्र के बीच जारी विवा में नौ नवंबर से दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू की जाएगी.
24 नंवबर सुनिश्चित की सुनवाई
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिंघवी ने मेहता की ओर से पेश किए गए अनुरोध पर कोई आपत्ति नही जताई. दोनो ही पक्ष पेश किए गए अनुरोध पर सहमत हुए इसलिए अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया. इस पर जस्टिस चंद्रचूर्ण ने कहा था कि वह संविधान पीठ पर आगे सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए वकीलों से एक उपयुक्त तारीख तय करेंगे. मेहता ने आगे सुनवाई करने के लिए 24 नवंबर का सुझाव दिया इस पर सिंघवी ने कोई आपत्ति नहीं जताई इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख को 24 नवंबर के लिए सुनिश्चित कर दिया.
संविधान की पीठ में ये अन्य लोग हैं शामिल
संविधान की पीठ में शामिल अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा शामिल हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को कहा था कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक संविधान पीठ का गठन किया गया है।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा छह मई को संविधान पीठ को स्थानांतरित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित कुछ सीमित मुद्दों का हल संविधान ही करें तो उचित है इसलिए ऐसे मुद्दे संविधान पीठ देखती है जिसमें सभी वैधानिक सवालों का विस्तार से निपटारा किया जाएगा