कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज रेप और हत्याकांड मामले का मुकदमा पश्चिम बंगाल से बाहर भेजने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि इस मामले में केस ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गठित नेशनल टास्क फोर्स के सुझाव कोर्ट में पेश किए गए, जिन पर सभी राज्यों को तीन हफ्तों में जवाब देने को कहा गया है.


कोलकाता में डॉक्टर के साथ रेप और हत्या पर कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान


पूरे देश को झकझोर देने वाले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने सीबीआई की छठी स्टेटस रिपोर्ट पर गौर किया और पाया कि निचली अदालत में आरोपी पर आरोप तय हो चुके हैं. चीफ जस्टिस ने कहा, "हम जांच पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. 11 नवंबर को निचली अदालत में अगली सुनवाई है. सीबीआई से चार हफ्तों में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है."


डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नेशनल टास्क फोर्स के सुझाव


सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया था. आज टास्क फोर्स ने अपने अंतरिम सुझाव कोर्ट में पेश किए. इन सुझावों में दो मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया गया. पहला, डॉक्टरों के कार्यस्थलों को हिंसा से सुरक्षित बनाना और दूसरा, उन्हें यौन अपराधों से बचाना. कोर्ट ने कहा कि ये सुझाव देश के हर मेडिकल संस्थान में लागू किए जाएं और सभी राज्यों से तीन हफ्तों में इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई है.


सभी वकीलों से डॉक्टरों की सुरक्षा पर विशेष सुझाव देने की अपील


सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों की सुरक्षा पर निगरानी रखने के लिए स्वायत्त व्यवस्था बनाने पर जोर दिया. मामले से जुड़े वकीलों से इस पर अपने सुझाव देने की अपील भी की गई. एक वकील ने इस केस को पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग उठाई थी, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "हम मणिपुर समेत अन्य मामलों में ट्रांसफर कर चुके हैं, लेकिन इस मामले में इसकी जरूरत नहीं है."


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