पूर्व जस्टिस मुरलीधर फिर करेंगे वकालत, दिल्ली दंगों पर टिप्पणी के बाद बटोरी थी सुर्खियां
Supreme Court of India: पंजाब-हरियाणा और दिल्ली HC के न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे चुके ओडिशा HC के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति (डॉ) एस मुरलीधर अब वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर वकालत कर सकेंगे.
Justice (Dr) S Muralidhar: ओडिशा हाई कोर्ट (Orissa High Court) के पूर्व चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए न्यायमूर्ति (डॉ.) एस मुरलीधर (Justice (Dr) S Muralidhar) अब बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता वकालत करेंगे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग ने 16 अक्टूबर के अपने फैसले में रिटायर चीफ जस्टिस को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया है. ओडिशा हाई कोर्ट से पहले न्यायमूर्ति मुरलीधर अपने 17 साल के कार्यकाल के दौरान में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के न्यायाधीश के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं. पूर्व जस्टिस मुरलीधर ने 2020 के दिल्ली दंगों पर टिप्पणी के बाद सुर्खियां बटोरी थी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम के लिए इस तरह का 'पदनाम' दिशा-निर्देश, 2023 के संदर्भ में दिया गया है. इस तरह की गाइडलाइन शीर्ष अदालत के महासचिव के जरिए 'इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट' के मामले में पारित 12 मई, 2023 के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई.
दिल्ली पुलिस पर की थी टिप्पणियां
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति मुरलीधर को दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था. अपने ट्रांसफर से ठीक पहले जस्टिस मुरलीधर ने 2020 के दिल्ली दंगों (Delhi Riots 2020) से निपटने को लेकर दिल्ली पुलिस के संबंध में टिप्पणियां की थीं.
जनवरी 2021 और अगस्त 2023 के बीच रहे ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस
न्यायमूर्ति (डॉ) एस मुरलीधर इस साल अगस्त में सेवानिवृत हुए थे. रिटायरमेंट से पहले जस्टिस मुरलीधर जनवरी 2021 और अगस्त 2023 के बीच ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे चुके हैं.
ओडिशा के बाद मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए भी की गई थी सिफारिश
ओडिशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, अंततः उनको मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी नियुक्त करने की सिफारिश की गई, लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से सिफारिश का कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद प्रस्ताव को कॉलेजियम ने इस साल अप्रैल में वापस ले लिया था. इसके चलते वो ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से ही सेवानिवृत्त हुए.
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