सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में अपने फ्लैट का कब्जा न मिलने से परेशान घर खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए निर्देश दिया है कि मासिक किस्त (EMI) भुगतान को लेकर बैंक, वित्तीय संस्थान या बिल्डर उनके खिलाफ कोई जबरिया कार्रवाई नहीं करेंगे. उनके खिलाफ चेक बाउंस का भी कोई मामला नहीं चलेगा.


सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कई मकान खरीदारों की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था. याचिकाओं में अनुरोध किया गया था कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया जाए कि वे रियल एस्टेट डेवलपर द्वारा उनके फ्लैट का कब्जा दिए जाने तक ईएमआई न लें.


हाईकोर्ट के याचिकाएं खारिज करने के बाद मकान खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने इस मुद्दे की जांच करने पर सहमति व्यक्त की और संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने हाईकोर्ट के 14 मार्च, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्र, बैंकों और अन्य को नोटिस जारी किए.


पीठ ने 15 जुलाई के अपने आदेश में कहा, 'इस बीच सभी मामलों में अंतरिम रोक रहेगी, जिसके तहत बैंकों/वित्तीय संस्थानों या बिल्डर/डेवलपर की ओर से मकान खरीदारों के खिलाफ परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत शिकायत सहित कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी.'


कोर्ट ने कहा, 'अधिकतर वित्तीय संस्थानों/बैंकों ने अपने जवाबी हलफनामे दाखिल कर दिए हैं. जिन लोगों ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, उन्हें दो सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्यवाही करने का आखिरी मौका दिया जाता है.'


सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 सितंबर तय की है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस आधार पर रिट याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं के पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता तथा रियल एस्टेट विनियमन व विकास अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के तहत वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं.


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