नई दिल्ली: बच्चों के खिलाफ यौन अपराध से जुड़े मुकदमों की निगरानी अब हाई कोर्ट के तीन जजों की कमिटी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से ऐसी कमिटी बनाने को कहा है. देशभर से सामने आ रही इस तरह की घटनाओं पर चिंता जताते हुए आज चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कई दिशा निर्देश जारी किए.


कोर्ट ने क्या कहा है:




  • पॉक्सो (बच्चों के खिलाफ यौन अपराध) के मुकदमों का समयबद्ध निपटारा हो.

  • पॉक्सो एक्ट पर अमल करते हुए सभी राज्य विशेष कोर्ट का गठन करें.

  • विशेष जज छोटी-छोटी वजहों पर सुनवाई न टालें.

  • हाई कोर्ट अपने 3 जजों की कमिटी बनाए. कमिटी राज्य भर में पॉक्सो के मुकदमों पर नज़र रखे.

  • DGP विशेष पुलिस बल बनाएं जो ऐसे मुकदमों में गवाहों की मौजूदगी सुनिश्चित करने जैसे ज़रूरी काम करे.

  • स्पेशल कोर्ट का माहौल बच्चों के लिए संवेदनशील हो.


क्या है मामला


सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सुनवाई इस साल 31 जनवरी को शुरू की. एक वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दिल्ली में आठ महीने की बच्ची के रेप का मामला कोर्ट में रखा. उन्होंने बच्ची के इलाज के साथ ही ऐसे मामलों पर कोर्ट से कड़े निर्देशों की भी मांग की.


कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए बच्ची एम्स में भर्ती कराने का आदेश दिया. साथ ही, देश भर में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लंबित मामलों का ब्यौरा भी मांग लिया. कोर्ट ने संकेत दिए कि ऐसे मामलों के समयबद्ध निपटारे का आदेश दिया जाएगा.


सरकार का जवाब


याचिका में बच्चों के साथ यौन अपराध के मामलों में मृत्यु दंड का कानून बनाने की भी मांग की गई थी. इसका जवाब देते हुए सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने वालों के लिए मौत की सज़ा का कानून बनाने की बात कही थी.


आज एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस बारे में अध्यादेश ले आयी है. अध्यादेश में रेप के मुकदमों की तय समय सीमा में सुनवाई का भी प्रावधान किया है.


कोर्ट ने क्या कहा


कोर्ट ने सरकार की बात नोट कर ली. इसके बाद याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वो कुछ और भी कहना चाहता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि विषय की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ऐसे मुकदमों के समय पर सुनवाई के लिए अपनी तरफ से उचित दिशानिर्देश जारी करे. इसके बाद कोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए जनहित याचिका का निपटारा कर दिया.