सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चार के अंदर खुली जेलों (Open Prisons) के कामकाज के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. अर्ध-खुली या खुली जेलें दोषियों को आजीविका कमाने के लिए दिन के दौरान परिसर के बाहर काम करने और शाम को वापस लौटने की अनुमति देती हैं. इस अवधारणा को कैदियों को समाज के साथ तालमेल बैठाने और मेंटल प्रेशर को कम करने के लिए पेश किया गया था.


जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ को सीनिय एडवोकेट और न्याय मित्र के. परमेश्वर ने बताया कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अपने जवाब दाखिल नहीं किए हैं. एडवोकेट परमेश्वर जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट की न्याय मित्र के रूप में सहायता कर रहे हैं.


बेंच ने कहा कि दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने खुली जेलों की स्थिति और कार्यप्रणाली के संबंध में जानकारी मांगने के लिए प्रश्नावली प्रसारित किए जाने के बावजूद अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई हैं और यह भी नहीं बताया है कि क्या ऐसी जेलें उनके अधिकार क्षेत्र में मौजूद हैं या नहीं.


सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को पारित अपने आदेश में कहा, 'इसलिए, हम निर्देश देते हैं कि सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, जिन्होंने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, वे आज से चार हफ्ते की अवधि के अंदर पूरा जवाब दाखिल करें.'


बेंच ने कहा, 'हम यह स्पष्ट करते हैं कि अगर कोई भी राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश इस अदालत द्वारा पारित आदेशों के अनुसार जवाब पेश नहीं करता है, तो हम संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को इस अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देने के लिए बाध्य होंगे.' बेंच ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध की.


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