OTT की निगरानी के लिए बोर्ड के गठन को सुप्रीम कोर्ट की No, बोला- सरकार देखेगी
Supreme Court On OTT: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ओटीटी से जुड़ी याचिका को सुनने से मना किया. नेटफ्लिक्स की एक सीरीज को लेकर याचिका दायर की गई थी.
Supreme Court On OTT: सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म के कार्यक्रमों की निगरानी के लिए बोर्ड के गठन की मांग सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया. कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है. इसे सरकार देखेगी. याचिका में कहा गया था कि भारत में फिल्मों का सर्टिफिकेशन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC करता है, लेकिन OTT के कार्यक्रम को देख कर उन्हें प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने की कोई व्यवस्था नहीं है.
स्वायत्त रेगुलेटरी बोर्ड बनाने की हुई थी मांग
OTT प्लेटफॉर्म पर निगरानी और नियंत्रण की मांग करने वाली यह याचिका वकील शशांक शेखर झा ने दाखिल की थी. याचिका में OTT और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक स्वायत्त रेगुलेटरी बोर्ड बनाने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि भारत मे फिल्मों के सर्टिफिकेशन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC करता है, लेकिन OTT के कार्यक्रम को देख कर उन्हें प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने की कोई व्यवस्था नहीं है.
याचिकाकर्ता ने 2020 में भी इस मसले पर याचिका दाखिल की थी. उस याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि न तो सरकार ने OTT की सामग्री पर निगरानी की उचित व्यवस्था बनाई है, न ही ऐसे नियम बनाए हैं, जिनमें गलत सामग्री के लिए जुर्माना लगाने या मुकदमा चलाने जैसे प्रावधान हों.
'धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हिंसा'
नई याचिका में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि उसकी पुरानी याचिका के बाद 2021 में केंद्र सरकार ने IT गाइडलाइंस बनाए, लेकिन इसका कोई असर OTT पर नहीं पड़ा. OTT प्लेटफॉर्म नियमों की कमी का फायदा उठाकर बेरोकटोक विवादित सामग्री दिखाते रहते हैं. OTT पर हिंसा, अश्लीलता और अभद्र भाषा से भरे शो धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हैं. इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है. साथ ही, ड्रग्स के सेवन और जुआ जैसी बुराइयों को भी प्रोत्साहन मिलता है.
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