Arun Goel Appointment Case: चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को कोर्ट ने शुक्रवार (4 अगस्त) को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस पर गौर करके 2 मार्च को पहले ही अपना फैसला सुना चुकी है. 


जज संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गोयल की नियुक्ति की फाइल को देखा और कुछ टिप्पणियां भी कीं लेकिन इसे निरस्त करने से इनकार किया था. 


कोर्ट में किसने क्या कहा?


पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया. एनजीओ की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि गोयल की मनमाने तरीके से नियुक्ति की गई है और इसमें तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. 


वहीं, केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि एनजीओ को इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि संवैधानिक पीठ ने नियुक्ति की फाइल देख ली है, लेकिन इसने निरस्त करने से इनकार कर दिया. 


2 मार्च को सुनाया था ऐतिहासिक फैसला 


बता दें कि, 2 मार्ट को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) की एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति की तरफ से की जाएंगी. 


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछे से सवाल 


इससे पहले, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल देख सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल पूछा था. कोर्ट ने पूछा, "15 मई से पद खाली था. अचानक 24 घंटे से भी कम समय में नाम भेजे जाने से लेकर उसे मंजूरी देने की सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गई. 15 मई से 18 नवंबर के बीच क्या हुआ?"


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