Supreme Court: 'इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी डॉक्टर के समान वेतन के हकदार नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रिव्यू पिटिशन
Supreme Court News: 26 अप्रैल 2023 को अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथिक डॉक्टरों के बराबर वेतन पाने के हकदार नहीं हैं. इसी के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल हुई थी.
![Supreme Court: 'इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी डॉक्टर के समान वेतन के हकदार नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रिव्यू पिटिशन Supreme Court dismissed review petition on the judgement that ayurved doctors are not entitled to equal pay as allopathy doctors Supreme Court: 'इस फैसले में कोई त्रुटि नहीं है कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी डॉक्टर के समान वेतन के हकदार नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रिव्यू पिटिशन](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/07/11/43116bd958902672acc5dce223eb4df51689060925815628_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी डॉक्टरों के समान वेतन के हकदार नहीं हैं. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज की पीठ ने कहा, "हमने 26 अप्रैल 2023 के फैसले और आदेश का अध्ययन किया है, जिसकी समीक्षा करने की मांग की गई है. फैसले में कोई गलती नहीं है, इसलिए इसकी समीक्षा के लिए कोई आधार नहीं है. "
लाइव लॉ की रिपोर्ट की मानें तो मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (आयुर्वेद) गुजरात राज्य बनाम संघ मामले में न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की दो-न्यायाधीश पीठ द्वारा 26 अप्रैल को दिए गए फैसले के खिलाफ मेडिकल ऑफिसर्स (आयुर्वेद) एसोसिएशन और कुछ व्यक्तियों द्वारा रिव्यू पिटीशन दायर की गई थीं.
गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को किया था रद्द
फैसले ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें कहा गया था कि मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर ऑफ आयुर्वेद की डिग्री रखने वाले चिकित्सकों को एमबीबीएस डिग्री रखने वाले डॉक्टरों के बराबर माना जाएगा.
नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम फॉर मेडिसिन ने भी 2-जजों की बेंच के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले अपने फैसले में कहा था कि एमबीबीएस डॉक्टरों को जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं में सहायता करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. यह एक ऐसा कार्य है जिसके लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर सक्षम नहीं हैं.
जटिल सर्जिकल ऑपरेशन नहीं करते आयुर्वेद डॉक्टर
न्यायालय ने विस्तार से कहा, "इसलिए, हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि चिकित्सा की प्रत्येक वैकल्पिक प्रणाली का इतिहास में अपना गौरवपूर्ण स्थान हो सकता है, लेकिन आज, चिकित्सा की स्वदेशी प्रणालियों के चिकित्सक जटिल सर्जिकल ऑपरेशन नहीं करते हैं.
न्यायालय ने एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भूमिकाओं में व्यावहारिक अंतर पर भी प्रकाश डाला. शीर्ष अदालत ने कहा, "आयुर्वेद डॉक्टरों के महत्व और चिकित्सा की वैकल्पिक या स्वदेशी प्रणालियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को समझते हुए भी, हम इस तथ्य से अनजान नहीं हो सकते हैं कि दोनों श्रेणियों के डॉक्टर निश्चित रूप से समान कार्य नहीं कर रहे हैं जिससे उन्हें समान वेतन मिले."
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