Gujarat News: गुजरात में बन रहे चिड़ियाघर के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, कहा-सारे आरोप निराधार
Supreme Court: गुजरात में देश के सबसे बड़े चिड़ियाघरों में शामिल जू के खिलाफ दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जू का निर्माण रिलायंस समर्थित GZRRC कंपनी कर रही है.
Gujarat News: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर सोसाइटी (GZRRC) द्वारा जामनगर गुजरात (Gujarat) में स्थापित किए जा रहे चिड़ियाघर (Zoo) के कई पहलुओं पर सवाल उठाते हुए दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, आपको बता दें की GZRRC रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा समर्थित है. चिड़ियाघर की स्थापना को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता ने GZRRC पर भारत और विदेशों से जानवरों के अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की थी और GZRRC के संचालन और प्रबंधन की जांच के लिए एक एसआईटी (SIT) की स्थापना की जाने की भी मांग की थी.
चिड़ियाघर पर उठाए गए थे सवाल
याचिका में भारत के भीतर और विदेश से जानवरों को GZRRC में स्थानांतरित करने पर सवाल उठाया गया था. जनहित याचिका में GZRRC के अनुभव और क्षमता पर भी सवाल उठाए गए थे. GZRRC द्वारा अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के बाद, कोर्ट ने 16 अगस्त को मामले की सुनवाई की और GZRRC के खिलाफ उठाए गए सभी तर्कों को खारिज करने वाली याचिका को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने दिया जवाब
कोर्ट ने GZRRC के अपने बुनियादी ढांचे, कामकाज, पशु चिकित्सक, क्यूरेटर, जीवविज्ञानी, प्राणी विज्ञानी और इसके द्वारा लगे अन्य विशेषज्ञों के बारे में प्रस्तुतियां नोट कीं और कहा कि यह कानून के संदर्भ में अपनी गतिविधियों को सख्ती से अंजाम दे रहा था.
कोर्ट में GZRRC ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह एक प्राणी उद्यान की स्थापना करेगा जो अनिवार्य रूप से शैक्षिक उद्देश्य के लिए सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए खुला होगा, जबकि इसकी बाकी सुविधाएं न केवल भारत से बल्कि पूरे विश्व से बचाव की आवश्यकता वाले जानवरों के कल्याण के लिए बचाव केंद्रों के रूप में काम करेंगी.
कोर्ट ने कहा-आरोप समाचार रिपोर्टों पर आधारित है
कोर्ट ने GZRRC द्वारा दायर प्रतिक्रिया पर अपनी संतुष्टि दर्ज की और कहा कि GZRRC को जानवरों के संचालन और हस्तांतरण के लिए दी गई अनुमति और इसकी परिणामी गतिविधियां कानूनी और अधिकृत हैं. कोर्ट ने आगे कहा की GZRRC के खिलाफ आरोप समाचार रिपोर्टों पर आधारित थे, और GZRRC को अनुमति और अनुमोदन देने वाले अधिकारियों की ओर से "कोई दुर्बलता नहीं दिखाई देती है."
GZRRC एक एनजीओ है
कोर्ट ने अनुमोदन के साथ GZRRC के इस निवेदन को भी नोट किया कि यह एक गैर-लाभकारी (नोन प्रोफ़िट) संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य जानवरों के वेलफ़ेयर का है, और यदि इससे कोई उत्पन्न (रेवेन्यू) होता है तो उसका उपयोग GZRRC द्वारा केवल बचाव कार्य करने के लिए किया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि उसे GZRRC के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में 'कोई तर्क या आधार' नहीं मिला है. कोर्ट ने यह भी कहा कि GZRRC के कामकाज पर विवाद करने के लिए 'शायद ही कोई गुंजाइश' है और आगे कोर्ट GZRRC के साथ 'किसी भी कानूनी दुर्बलता का पता लगाने में असमर्थ' था.
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