मरांडी और मुंडा समेत झारखंड बीजेपी के 28 बड़े नेताओं को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बंद किया उपद्रव का मुकदमा
11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी की झारखंड इकाई ने हेमंत सोरेन सरकार को असफल बताते हुए सचिवालय घेराव की घोषणा की थी. उस दिन सचिवालय के नजदीक के रांची के धुर्वा चौक इलाके में करीब 2 घंटे तक घमासान मचा रहा.

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के बीजेपी नेताओं को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. यह एफआईआर 11 अप्रैल, 2023 को रांची में बीजेपी के सचिवालय मार्च के दौरान पुलिस से हुई झड़प मामले में दर्ज हुई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, संजय सेठ, निशिकांत दुबे, दीपक प्रकाश और सीपी सिंह समेत 28 वरिष्ठ नेताओं को राहत मिली है.
14 अगस्त 2024 को झारखंड हाई कोर्ट ने इस एफआईआर को गैरजरूरी बताते हुए निरस्त कर दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची झारखंड सरकार की अपील भी आज खारिज हो गई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उसे इस मामले में दखल की कोई ज़रूरत नहीं लगती है.
सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के वकील ने क्षेत्र में धारा 144 लगी होने का हवाला दिया. इस पर जस्टिस ओका ने कहा, "यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि वहां धारा 144 लगा दी गई थी. कोई आंदोलन करना चाह रहा हो, तो प्रशासन तुरंत धारा 144 का प्रतिबंध लागू कर देता है. यह प्रवृत्ति गलत है. हम इस पर सहमति नहीं जता सकते."
11 अप्रैल, 2023 को बीजेपी की झारखंड इकाई ने हेमंत सोरेन सरकार को असफल बताते हुए सचिवालय घेराव की घोषणा की थी. आंदोलन के मद्देनजर प्रशासन ने सचिवालय के नजदीकी क्षेत्र में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का आदेश जारी कर दिया. बीजेपी के मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार, आंसू गैस और लाठी चार्ज का इस्तेमाल किया.
उस दिन सचिवालय के नजदीक के रांची के धुर्वा चौक इलाके में करीब 2 घंटे तक घमासान मचा रहा. इस दौरान 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए. घायल होने वालों में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अलावा पुलिसकर्मी और पत्रकार भी शामिल थे. इसके बाद एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के बयान पर धुर्वा थाने में 28 बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. एफआईआर में इन नेताओं पर उपद्रव, दंगा, सरकारी के निर्देशों का उल्लंघन और सरकारी काम में बाधा जैसे आरोप लगाए गए थे.
यह भी पढ़ें:-
लिव-इन रिलेशन टूटने पर गुजारा भत्ता, हलाला-बहुविवाह पर रोक... UCC से उत्तराखंड में क्या-क्या बदला?
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

