Supreme Court: यूपी सरकार के विज्ञापन खर्च पर आपत्ति करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता सी आर जयासुकिन का कहना था कि यूपी सरकार विज्ञापन के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है. इन पैसों को लोगों की भलाई के कामों में लगाया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने इसे अनावश्यक खर्च बताते हुए इन विज्ञापनों पर रोक की मांग की थी. आज लगातार दूसरी बार याचिकाकर्ता पेश नहीं हुए. उन्होंने सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए चिट्ठी जजों को भेजी. इस तरह बार-बार सुनवाई टालने के अनुरोध से नाराज़ होकर कोर्ट ने याचिका ही खारिज कर दी.
विफलताओं को ढंकने के लिए विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च- याचिकाकर्ता
मामले में याचिका तमिलनाडु के रहने वाले वकील सी आर जयासुकिन ने दाखिल की थी. उनका कहना था कि यूपी सरकार अपनी विफलताओं को ढंकने के लिए विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करती है. इन पैसों को राज्य के लोगों की भलाई के कामों में लगाया जाना चाहिए.
पिछले साल अक्टूबर में दाखिल यह याचिका कुछ महीनों तक तकनीकी कमी के चलते रजिस्टर्ड नहीं हुई. आखिर इसे 9 जनवरी को औपचारिक नंबर मिला. 4 फरवरी को मामला पहली बार सुनवाई के लिए लगा लेकिन सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता ने चिट्ठी भेज कर जजों से सुनवाई टालने के अनुरोध कर दिया. इसे मानते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने 11 फरवरी की तारीख तय कर दी.
दूसरी बार सुनवाई टालने का किया गया अनुरोध
आज फिर मामला उसी बेंच के सामने लगा था लेकिन वकील जयासुकिन ने फिर से 4 हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के अनुरोध करते हुए चिट्ठी भेज दी. जब मामला सुनवाई के लिए लगा तो वकील जजों के सामने पेश नहीं हुए. जजों ने इस तरह बार-बार सुनवाई टलवाने पर नाराज़गी जताते हुए मामला खारिज कर दिया.
इससे पहले भी सुनवाई टलवा चुके याचिकाकर्ता ने आज फिर सुनवाई टालने का अनुरोध किया लेकिन जजों ने इस पर नाराज़गी जताते हुए मामला खारिज कर दिया.
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