Supreme Court: उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री को पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
Supreme Court: याचिकाकर्ता का कहना था कि रिजिजू ने जजों की नियुक्ति करने की कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ लगातार बयान दिए हैं. कॉलेजियम के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज होते हैं.
Supreme Court: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन नाम की संस्था ने कहा था कि दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के सम्मान के खिलाफ बयान दिए हैं, इसलिए संवैधानिक पद पर रहने के योग्य नहीं हैं. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी यह याचिका खारिज की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 15 मई को कहा कि हाई कोर्ट ने सही किया था. आप को यहां अपील दाखिल करने की कोई जरूरत नहीं थी.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से उसके अध्यक्ष अहमद आब्दी की याचिका में उपराष्ट्रपति धनखड़ और रिजिजू के कुछ बयानों का हवाला दिया गया था. याचिकाकर्ता का कहना था कि रिजिजू ने जजों की नियुक्ति करने की कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ लगातार बयान दिए हैं. कॉलेजियम के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज होते हैं. उन पर अविश्वास जता कर कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान लोगों की नजर में गिराने की कोशिश की है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया गलत
याचिका में यह भी कहा गया था कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया. संसद से पारित कानून को रद्द करने को संसद की स्वायत्तता का हनन बताया. उन्होंने 1973 के ऐतिहासिक 'केशवानंद भारती' फैसले के जरिए स्थापित 'बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन' यानी 'मूल ढांचा सिद्धांत' को भी गलत कहा. इस तरह का बयान देकर उन्होंने संविधान का पालन करने की शपथ के विरुद्ध काम किया.
याचिका दाखिल कर नहीं जा सकता हटाया
इस साल 9 फरवरी को बॉम्बे हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय गंगापुरवाला और जस्टिस संजीव मार्ने की बेंच ने इस याचिका को खारिज किया था. जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के प्रति लोगों के विश्वास को कुछ बयानों से कम नहीं किया सकता. किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को हटाने की मांग भी गलत है. उसे इस तरह कोर्ट में याचिका दाखिल कर हटाया नहीं जा सकता.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जस्टिस संजय किशन कौल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस पर हैरानी जताई. जस्टिस कौल ने कहा, हाई कोर्ट ने सही तो कहा था. आप यहां क्यों आ गए? क्या सारी कानूनी औपचारिकता पूरी करना चाहते हैं? किसी व्यक्ति ने अगर कोई अवांछित बयान दिया भी है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे खुद देख सकता है। आपकी याचिका खारिज की जा रही है.
यह भी पढ़ें:-