नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह याचिका सुनवाई के लायक नहीं है. पूर्व बीजेपी विधायक गगन भगत ने याचिका दायर कर राज्यपाल के फैसले का विरोध किया था. उनका कहना था कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक को राज्य में सरकार गठन के सभी विकल्पों पर गौर करना चाहिए था.


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने कहा, ‘‘हम दखल नहीं देना चाहते (राज्यपाल के फैसले में) हैं.’’ राज्यपाल ने 21 नवंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दिया था.


राज्यपाल ने यह फैसला ऐसे समय में लिया था जब सूबे की प्रमुख पार्टियों के दो अलग-अलग गठबंधनों ने सरकार बनाने का दावा किया था. पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के समर्थन वाले पत्र राज्यपाल ऑफिस में फैक्स किए थे. वहीं सज्जाद लोन ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था.


इसके बाद राज्यपाल ने हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) की आशंका को देखते विधानसभा को भंग कर दिया था. इस फैसले से वे विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे. हालांकि बाद में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि अगर वह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक संकट के लिए दिल्ली के दिशा-निर्देशों की ओर देखते तो उन्हें बीजेपी समर्थित सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता. मलिक ने कहा, लेकिन वह ऐसा करना नहीं चाहते थे.


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राज्यपाल ने तबादले की भी आशंका जताई थी. उन्होंने कहा था, "मुझे नहीं पता मेरा यहां से कब तबादला हो जाएगा. लेकिन जब तक मैं यहां हूं, मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि जब भी आप मुझे बुलाएंगे, मैं आ जाऊंगा."