नई दिल्लीः गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प पर बयान के लिए केंद्रीय मंत्री वी के सिंह पर कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर किसी मंत्री ने कुछ गलत किया है तो उसके बारे में फैसला लेना प्रधानमंत्री का अधिकार है. 


भारत के सेनाध्यक्ष रह चुके जनरल वीके सिंह पिछले साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में हुए टकराव पर बयान दिया था. इस साल 7 फरवरी को तमिलनाडु के मदुरई में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, "यह सोचना गलत है कि सीमा पर चीन मजबूत स्थिति में है अगर चीन 10 बार भारतीय सीमा में घुसा है, तो भारत के सैनिक ऐसा 50 बार कर चुके हैं." 


गोपनीयता की शपथ के उल्लंघन का भी लगाया था आरोप
याचिकाकर्ता चंद्रशेखरन रामासामी का कहना था कि यह बयान आईपीसी की धारा 124A में दी गई राजद्रोह की परिभाषा में फिट बैठता है. उनके इस बयान का फायदा उठा कर चीन अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को दबाव में डालेगा. इतना ही नहीं मंत्री ने इस तरह का बयान देकर गोपनीयता की अपनी शपथ का उल्लंघन किया है.


मंत्री को पद पर बनाए रखना या नहीं, यह पीएम को तय करने दीजिए
मामला आज चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच में लगा. जज इस याचिका पर हैरान नज़र आए. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील सीआर जयासुकिन से कहा, "आप को किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं आया तो क्या आप उसे हटाने के लिए याचिका दाखिल कर देंगे? मंत्री को पद पर रहना है या नहीं. यह पीएम को तय करने दीजिए." इस टिप्पणी के साथ बेंच ने याचिका खारिज कर दी। 



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