(Source: Dainik Bhaskar)
Vande Bharat Express: 'अब कोर्ट बताए कि ट्रेन कहां रुकेगी?, तिरुर रेलवे स्टेशन को वंदे भारत का स्टॉप बनाए जाने की मांग SC में खारिज
SC on Vande Bharat Express: याचिकाकर्ता का दावा है कि शुरुआत में रेलवे ने तिरुर रेलवे स्टेशन को वंदे भारत एक्स्प्रेस का स्टॉप बनाए जाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया
Supreme Court: तिरुअनंतपुरम-कासरगोड वंदे भारत एक्सप्रेस का एक पड़ाव केरल के तिरुर में भी रखने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. सोमवार (17 जुलाई) को याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम बताएं कि ट्रेन को कहां रोका जाए, यह नीतिगत मामला है, हम इस पर सुनवाई नहीं करेंगे. कोर्ट में याचिका दाखिल कर केरल के मलप्पुरम जिले में तिरुर रेलवे स्टेशन को वंदे भारत का पड़ाव बनाए जाने की मांग की गई थी.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि अब आप चाहते हैं कि कोर्ट बताए कि ट्रेन को कहां रुकना चाहिए. कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा, "अब हम दिल्ली से लेकर मुंबई राजधानी तक के स्टेशनों पर भी फैसला लेंगे. सॉरी डिस्मिस्ड."
केरल हाईकोर्ट में भी दाखिल की थी याचिका
इससे पहले याचिकाकर्ता ने केरल हाईकोर्ट में पीटिशन फाइल करके तिरुरु रेलवे स्टेशन को पड़ाव बनाए जाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. हाईकोर्ट के जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस और जस्टिस सी जयचंद्रन ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ट्रेन कहां रुकेगी और कौन से स्टेशन होने चाहिए, इसका फैसला रेलवे करता है. इसके अलावा, किसी को भी किसी निश्चित स्टेशन बनाए जाने की मांग करने का अधिकार नहीं है.
याचिकाकर्ता का दावा
याचिकाकर्ता का दावा है कि शुरुआत में रेलवे ने तिरुर रेलवे स्टेशन को वंदे भारत एक्स्प्रेस का स्टॉप बनाए जाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया और इसके बजाय पलक्कड़ जिले के शॉरनुर में एक और स्टेशन बनाया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह स्टेशन तिरुर से तकरीबन 56 किमी की दूरी पर है.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से तिरुर को स्टेशन नहीं बनाया गया, जो मलप्पुरम की जनता के साथ अन्याय है. याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि इसमें उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं है और उन्होंने जनता की भलाई के बारे में सोचते हुए याचिका दाखिल की थी.
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