नई दिल्ली: महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने राज्य में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और सरकार को नापसंद लोगों पर निशाना साधने का आरोप लगाया था. कोर्ट ने कहा, ''एक नागरिक के तौर पर आप राष्ट्रपति से मांग कर सकते हैं. यहां आने की ज़रूरत नहीं.''
दिल्ली के रहने वाले याचिकाकर्ता विक्रम गहलोत, ऋषभ जैन और गौतम शर्मा ने महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को संविधान के पालन में विफल बताया था. याचिका में अभिनेता सुशांत सिंह की संदिग्ध मौत और उसकी जांच में मुंबई पुलिस की भूमिका समेत कुछ दूसरी घटनाओं का हवाला दिया गया था.
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा, "क्या आप यह कहना चाहते हैं कि एक बॉलीवुड अभिनेता की मौत का मतलब राज्य में संवैधानिक व्यवस्था की असफलता है?"
याचिकाकर्ता ने रिटायर्ड नौसेना अधिकारी मदन लाल शर्मा की पिटाई और अभिनेत्री कंगना रानाउत के दफ्तर का एक बड़ा हिस्सा तोड़े जाने जैसी घटनाओं का भी ज़िक्र किया.
लेकिन बेंच के तीनों जज इन दलीलों से आश्वस्त नहीं हुए. चीफ जस्टिस ने कहा, "आपने मुंबई की एक-दो घटनाओं का उल्लेख किया है. क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र कितना बड़ा राज्य है?”
याचिकाकर्ता ने एक बार फिर कोर्ट से अपनी मांग पर विचार का अनुरोध किया. लेकिन जजों ने कहा, “एक नागरिक के तौर पर आप राष्ट्रपति के पास जा सकते हैं. हमारे पास आने की ज़रूरत नहीं."
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