सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अब तक 52,191 केसों का निपटारा किया है. यह सुप्रीम कोर्ट में इस साल दर्ज 49,191 मामलों से 3,000 अधिक है. SC द्वारा जारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है. 


सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कई अहम और सालों से लंबित मामलों में भी फैसले सुनाए और उनका निपटारा किया. इनमें जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला भी शामिल है. संवैधानिक बेंच ने केंद्र के आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को वैध माना था. इसके अलावा SC ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से भी इनकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति होगी. 


सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ''एक अन्य उपलब्धि में, भारत का सर्वोच्च न्यायालय 1 जनवरी, 2023 से 15 दिसंबर, 2023 तक 52191 मामलों का निपटारा करने में सक्षम रहा है, जिसमें 45,642 विविध मामले और लगभग 6,549 नियमित मामले शामिल हैं. साल 2023 में कुल 49191 मामले सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचे, जबकि 52191 मामलों का निपटारा हुआ. इससे पता चलता है कि इस साल सुप्रीम कोर्ट दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटान करने में सक्षम था.''


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामलों की सूची दाखिल करने के लिए आवश्यक समय सीमा को सुव्यवस्थित किया है, ऐसे में मामला दाखिल करने का समय 10 दिन से घटाकर सात से पांच दिन हो गया है.


SC ने बयान जारी कर कहा, उनके कार्यकाल में मामलों के दाखिल होने से लेकर लिस्टिंग तक में बदलाव आया है, जहां लिस्टिंग से लेकर फाइलिंग तक 10 दिनों का समय लगता था, अब यह घटकर 5 से 7 दिन रह गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पांच जजों और सात जजों की बेंच का भी गठन किया गया, जिसमें सात जजों की बेंच ने दो मामलों की सुनवाई की और एक मामले में फैसला सुरक्षित रखा और दूसरे में फैसला सुनाया गया.


सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 22 मई से 2 जुलाई तक मानवीय स्वतंत्रता से संबंधित 2262 मामलों में सुनवाई की और 780 मामलों का निपटारा किया. 


बयान में कहा गया है कि साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इतनी संख्या में केसों का निपटान देश के कानूनी इतिहास में अहम क्षण है. तकनीकी को अपनाने और रणनीतिक सुधारों के साथ न्यायपालिका के सक्रिय दृष्टिकोण ने समय पर और कुशल न्याय वितरण के लिए एक नया मानक स्थापित किया है. तकनीकी को अपनाने और रणनीतिक सुधारों के साथ न्यायपालिका के सक्रिय दृष्टिकोण ने कुशल न्याय वितरण के लिए एक नया मानक स्थापित किया है. यह उपलब्धि न सिर्फ भारतीय कानूनी प्रणाली के लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता को दर्शाती है, बल्कि तेजी से विकसित हो रही दुनिया में न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता तो भी दिखाती है