Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (29 नवंबर) को मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMRCL) के इस दलील से सहमत नहीं हुआ कि मेट्रो नागरिकों को कारों का इस्तेमाल न करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सही निष्कर्ष नहीं है और कारों को सिंगापुर की तरह महंगा बनाना इस दिशा में कारगर साबित हो सकता है. मीडिया की खबरों के अनुसार सिंगापुर में कार खरीदना एक महंगा सौदा है और संभावित खरीदार को बोली लगाकर पात्रता प्रमाणपत्र (COE) प्राप्त करना होता है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMRCL) को अपनी कार शेड के लिए मुंबई की आरे कॉलोनी में 84 पेड़ों को काटने के लिए संबंधित अथॉरिटी के साथ अपनी याचिका को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी.
कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMRCL) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान मेट्रो रेल परियोजना के लाभों और प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा, "कम वाहनों के आने-जाने से कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी. उन्होंने कहा कि 13 लाख से अधिक यात्री मेट्रो से यात्रा कर सकते हैं और इससे कारों की संख्या, ईंधन की खपत और वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है, उन्होंने कहा कि हर दिन मुंबई में ट्रेन दुर्घटनाओं में नौ लोगों की मौत हो जाती है.
सिंगापुर जैसा कुछ कदम उठाते हैं
चीफ जस्टिस ने कहा, "कारों की बढ़ोतरी दर बढ़ती रहेगी. लोग कार रखेंगे. देखें कि दिल्ली में क्या हुआ. यह निष्कर्ष कि लोग कार चलाना बंद कर देंगे, और इससे ईंधन की खपत कम हो जाएगी, इससे मदद नहीं मिलेगी. कमी तभी आएगी है जब आप सिंगापुर जैसा कुछ कदम उठाते हैं, वो भी कारों को काफी महंगा बना कर."