Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को चुनावी बॉन्ड स्कीम पर बड़ा फैसला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया. शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड को रद्द कर दिया है. साथ ही अदालत की तरफ से 'स्टेट बैंक ऑफ इंडिया' (एसबीआई) को निर्देश दिया है कि वह इन बॉन्डों को और जारी नहीं करे. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से खरीद गए ऐसे सभी बॉन्डों की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे.
पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया कि राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग की अनुमति देने वाले कानून में बदलाव मनमाना है. शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग की जानकारी जरूरी है. ऐसे में आइए 10 प्वाइंट्स में जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को लेकर जो फैसला सुनाया है, उसमें क्या-क्या कहा गया है और शीर्ष अदालत के फैसले की बड़ी बातें क्या हैं:
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताया और इसे रद्द कर दिया. अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया.
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला चुनाते वक्त कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है.
- शीर्ष अदालत ने कहा कि अनाम चुनावी बॉन्ड संविधान के जरिए दिए गए सूचना के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एसबीआई समेत उन सभी बैंकों को चुनावी बॉन्ड जारी करने से रोक दिया गया है, जो अब तक ऐसा कर रहे थे.
- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई उन राजनीतिक दलों के जानकारी चुनाव आयोग को दे, जिन्हें 12 अप्रैल 2019 से अब चुनावी बॉन्ड के जरिए धनराशि मिली है.
- अदालत ने कहा कि एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का मूल्य एवं तारीख सहित विवरण देना होगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फंडिंग देने वाले लोगों को पॉलिसी बनाने तक की पहुंच मिल जाती है. ये पैसे और वोटिंग के बीच की सांठगांठ की तरह है.
- अदालत ने कहा कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी जरूरी है.
यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड पर यह हमारी जीत- SC के फैसले पर याचिकाकर्ता, प्रशांत भूषण बोले- अब सब कुछ सार्वजनिक करना होगा