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चुनावी बॉन्ड पर SC का फैसला पलट सकती है मोदी सरकार? समझें, विकल्प के बाद भी क्या है चुनौती

Supreme Court: चुनावी बॉन्ड स्कीम को 2018 में लेकर आया था, ताकि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाई जा सके. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है.

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है. अदालत ने कहा कि चुनावी बॉन्ड नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसकी वजह से राजनीतिक पार्टियों और दानदाताओं के बीच सांठ-गांठ हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट से आए इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा गया. बीजेपी सरकार राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए चुनावी बॉन्ड स्कीम लेकर आई थी. 

हालांकि, भले ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के खिलाफ गया है, लेकिन कहीं न कहीं सरकार उन ऑप्शन पर भी विचार कर रही है, जिनके जरिए फैसले को पलटा जा सके. कहा ये भी जा रहा है कि सरकार चुनावी बॉन्ड पर आए फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर केंद्र सरकार किन ऑप्शन पर विचार कर रही है, जिनके जरिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा जा सकता है और क्या सच में ऐसा किया जाएगा. 

किन ऑप्शन पर विचार कर रही सरकार?

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से पता चला है कि सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है. इसमें सबसे प्रमुख तो एक बिल पास कर फैसला पलटना है. दिसंबर में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर एक नया मैकेनिज्म तैयार करने वाले बिल को पास किया ही गया था. सूत्रों ने ये भी बताया है कि सरकार काले धन की वापसी को लेकर भी चिंतित है. उसका कहना है कि अगर दानदाताओं की पहचान जारी की जाती है, तो ये बैंकिंग के कानून के खिलाफ होगा. 

चुनावी बॉन्ड के इतर भी एक अन्य मॉडल है, जिसके जरिए राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग की जा सकती है. इस मॉडल के तहत जिसके तहत ट्रस्ट कंपनियों और व्यक्तियों के जरिए हासिल पैसे को राजनीतिक दलों को दे सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि इस मॉडल की स्टडी की गई है, लेकिन इसे लागू करने में काफी चुनौतियां हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मॉडल को लागू करने पर भी विचार किया जा सकता है. 

क्या ऑर्डिनेंस के जरिए फैसला पलटने पर हो रहा विचार? 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं लोकसभा के 15वें सत्र का समापन हो चुका है. ऐसे में सरकार अध्यादेश यानी ऑर्डिनेंस लाने पर भी विचार नहीं कर रही है. कहा ये भी गया कि सरकार नए फंडिंग सिस्टम को ला सकती है, लेकिन ऐसा होने के आसार भी कम है. सूत्रों ने बताया है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका भी दायर नहीं करने वाली है. 

क्यों सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नहीं जाना चाहती है सरकार? 

केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करने की कई वजहें हैं. इसमें सबसे प्रमुख वजह लोकसभा चुनाव है, जिसके लिए कुछ ही हफ्तों में नोटिफिकेशन भी जारी हो सकता है. चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद सरकार के लिए संवैधानिक रास्तों के जरिए अदालत का फैसला पलटना मुश्किल हो जाएगा. एक वजह ये भी है कि सरकार चाहती है कि जब 2024 में नई सरकार आए, तो वह खुद ही फंडिंग के लिए कोई नई व्यवस्था को पेश करे. 

यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड स्कीम पर लगा फुल स्टॉप, सुप्रीम कोर्ट ने क्या-कुछ कहा? 10 प्वाइंट्स में जानिए फैसले की बड़ी बातें

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