Supreme Court : पारिवारिक झगड़े को आपराधिक मुकदमे में बदल देने पर सुप्रीम कोर्ट कई बार चिंता जता चुका है. आपसी विवाद के बाद पति और उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न और क्रूरता समेत दूसरे अपराधों का केस दर्ज कराए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने गलत कहा है. इस साल मई में भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर विचार के लिए कहा है.


3 मई 2024 को अचिन गुप्ता बनाम हरियाणा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे बी पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने एक अहम फैसला दिया. कोर्ट ने पत्नी की तरफ से दहेज उत्पीड़न और क्रूरता के लिए दर्ज करवाए गए केस को निरस्त किया. पत्नी ने पति के अलावा ससुर, सास, ननद और नंदोई पर भी कई आरोप लगाए थे. कोर्ट ने कहा कि पति की तरफ से तलाक का मुकदमा दाखिल करने के महीनों बाद पत्नी ने पति और उसके पूरे परिवार पर आपराधिक केस दर्ज करवाया. यह बदले की कार्रवाई लगती है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 और 86 पर दोबारा विचार का अनुरोध किया.


‘सरकार को करना चाहिए विचार’


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने 2010 के प्रीति गुप्ता बनाम झारखंड फैसले में दहेज के मामले में पति के पूरे परिवार को शामिल करने को गलत बताया था. सरकार के सामने नए आपराधिक कानून बनाते समय इसमें सुधार का मौका था, लेकिन आईपीसी की धारा 498A को बीएनएस में हूबहू धारा 85 और 86 के रूप में लिख दिया गया. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.


‘महिला रिश्तेदारों को बड़ी संख्या में किया जा रहा गिरफ्तार’


इस फैसले में जस्टिस पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने 2014 के अरणेश कुमार बनाम बिहार फैसले का भी उल्लेख दिया. उस फैसले में बेवजह गिरफ्तारी को गलत बताया गया था. अरणेश कुमार फैसले में कोर्ट ने लिखा था, "2012 में कुल 1,97,762 लोगों की आईपीसी 498A के मुकदमे में गिरफ्तारी हुई. इसमें से 47,951 महिलाएं थीं. इससे पता चलता है कि पति की महिला रिश्तेदारों को भी बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया जा रहा है. 2012 में दहेज उत्पीड़न के केस में हुई गिरफ्तारी कुल गिरफ्तारियों का 6 प्रतिशत थी. यह लूट और मारपीट जैसे अपराधों से भी ज़्यादा है. दहेज उत्पीड़न की एफआईआर में 93.6 प्रतिशत मामलो में चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन सिर्फ 15 प्रतिशत मामलो में दोष सिद्ध हुआ. इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि देश में दहेज उत्पीड़न के लंबित 3,72,706 मुकदमों में से 3,17,000 में आरोपी बरी होने वाले हैं."


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