नई दिल्ली: "ताजमहल पहले सफेद से पीला हुआ, अब क्या भूरा और हरा हो रहा है? अगर ऐसा है तो इसकी क्या वजह है?" सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता ने ये सवाल पूछा है. कोर्ट में ताजमहल के संरक्षण से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी.


क्या है मामला?


1985 से लंबित एम सी मेहता बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार ताजमहल के आस-पास के पर्यावरण की निगरानी कर रहा है. इलाके में किसी भी तरह की औद्योगिक गतिविधि, बड़े निर्माण या पेड़ काटने के लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी है.


आज क्या हुआ?


याचिकाकर्ता एम सी मेहता की तरफ से कोर्ट को कुछ तस्वीरें सौंपी गईं. बताया गया कि ताजमहल के रंग में बदलाव आ रहा है. पर्यावरण के मसले पर कई आदेश दे चुके दोनों जजों ने इन तस्वीरों पर चिंता जताई.


जजों ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएस नाडकर्णी से कहा, "ये एक गंभीर विषय है. आपको देश-विदेश के विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए. ये पता चलना चाहिए कि क्या वाकई ताजमहल को  नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की भरपाई कैसे हो सकती है?" कोर्ट ने कहा कि या तो सरकार के पास विशेषज्ञ नहीं हैं या फिर उसे इस बात की परवाह ही नहीं कि ताजमहल का रखरखाव बहुत ज़रूरी है.


सरकार की दलील


नाडकर्णी ने कहा, "ताजमहल की देख-रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) करता है. सरकार आस-पास के पर्यावरण को बचाने में भूमिका निभाती है. ताजमहल को कोई नुकसान पहुंचा है या नहीं इसके बारे में एएसआई ही सही जानकारी देता है. इसके बाद कोर्ट ने एएसआई से जवाब दाखिल करने को कहते हुए सुनवाई की अगली तारीख 9 मई तय कर दी.