नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि गुरुवार तक के लिए बढ़ा दी. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दर्ज किया है. जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने चिदंबरम की अपील पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनी. पीठ गुरुवार को भी दलीलें सुनेगी. मेहता ने कहा कि चिदंबरम खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और मामले में ईडी को उनकी गिरफ्तारी से रोकने का प्रयास कर रहे हैं.


मेहता ने पीठ से कहा, ''उन्हें राजनीतिक विरोधी होने को लेकर प्रताड़ित नहीं किया जा रहा है, जैसा कि उनका (चिदंबरम का) आरोप है. हमारे पास यह प्रदर्शित करने के लिए साक्ष्य हैं कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक गंभीर मामला है. मामले में हमने अकाट्य सामग्री जुटाई है.'' शीर्ष अदालत अग्रिम जमानत रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर सुनवाई कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने याचिका के जरिए दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उनकी अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी थी. ये मामले सीबीआई और ईडी ने दर्ज किये थे.


मेहता ने चिदंबरम को अग्रिम जमानत दिये जाने का विरोध करते हुए कहा, ''खुद को पीड़ित के तौर पर पेश कर भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है.'' सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक एफआईआर दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि 2007 में वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं. इसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.


अपमानित करने के लिये गिरफ्तार करना चाहती है ईडी- चिदंबरम
चिदंबरम यूपीए सरकार में 2004 से 2014 के दौरान वित्त मंत्री और गृह मंत्री थे. उन्होंने मंगलवार को शीर्ष अदालत में कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले में उनसे की गयी पूछताछ की प्रतिलिपि पेश करने का निर्देश दिया जाये. साथ ही उन्होंने दावा किया था कि जांच एजेन्सी उन्हें अपमानित करने के लिये गिरफ्तार करना चाहती है. चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक आवेदन दायर कर ईडी द्वारा पिछले साल 19 दिसंबर, एक जनवरी और 21 जनवरी, 2019 को पूर्व केन्द्रीय मंत्री से पूछताछ के दौरान पूछे गये सवाल और उनके जवाबों का लिखित ब्योरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था.


चिदंबरम की ओर से ही एक अन्य वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि पूर्व मंत्री सवालों के जवाब देने से बच नहीं रहे थे और उन्होंने जांच में पूरी तरह सहयोग किया है. उन्होंने कहा, ''आप (ईडी) मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं, लेकिन किस लिये? जवाब है- मुझे अपमानित करने के लिये, मुझे अपमानित करने के लिये और मुझे अपमानित करने के लिये, मिनट दर मिनट और घंटा दर घंटा.'' उन्होंने दलील दी कि ईडी ने मामला 2017 में दर्ज किया है जबकि अपराध कथित तौर पर 2007-08 के दौरान हुए. सिंघवी ने कहा कि जिन दंडात्मक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है वे पीएमएलए के तहत 2009 के संशोधन के बाद ही अपराध हुए और ईडी इसे पूर्व तिथि से नहीं कर सकती.


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