नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि शुक्रवार को 15 अक्टूबर तक के लिये बढ़ा दी है. बंबई हाई कोर्ट ने इस मामले में नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इंकार करते हुये उन्हें तीन सप्ताह तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था.


न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई के बाद महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में उनके खिलाफ जांच के दौरान एकत्र की गयी सामग्री पेश करने का निर्देश दिया है.


पीठ ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली नवलखा की याचिका पर सुनवाई के लिये सहमति व्यक्त की और कहा कि इस मामले में 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी. हाई कोर्ट ने 2017 के कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में जनवरी, 2018 में गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था.


पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के बाद एक दिसंबर को कोरेगांव-भीमा में हुयी कथित हिंसा के मामले में जनवरी, 2018 को प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले में नवलखा के साथ ही वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी हैं.


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