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Aarey Forest: मंजूरी से अधिक पेड़ काटने पर SC ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को लगाई कड़ी फटकार, जुर्माना भी लगाया
Supreme Court On Aarey Forest: सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई मेट्रो को आरे जंगल से 177 पेड़ों को हटाने की मंजूरी देते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक से सार्वजनिक परियोजना ठप हो जाएगी.
![Aarey Forest: मंजूरी से अधिक पेड़ काटने पर SC ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को लगाई कड़ी फटकार, जुर्माना भी लगाया Supreme Court Fined 10 lakh to Mumbai Metro Over Aarey Tree Cutting but allow remove 177 Aarey Forest: मंजूरी से अधिक पेड़ काटने पर SC ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को लगाई कड़ी फटकार, जुर्माना भी लगाया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/04/17/2e26b3bab9b6018a98d92265516d53171681730789116503_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Supreme Court Fined MMRCL: मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 84 पेड़ काटने की मंजूरी के बावजूद ज़्यादा पेड़ काटने की कोशिश के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 अप्रैल) मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन को कड़ी फटकार लगाई. इसके साथ ही 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. हालांकि, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए 177 पेड़ काटने की मंजूरी दे दी.
दरअसल, नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने MMRCL को 84 पेड़ काटने की अनुमति मांगने ट्री ऑथोरिटी के पास जाने को कहा था. लेकिन MMRCL ने ट्री ऑथोरिटी से 177 पेड़ काटने की मंजूरी मांग ली. ये मंजूरी इस वजह से दी गई है कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से सार्वजनिक परियोजना बंद हो जाएगी.
कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को पार करने पर लगा जुर्माना
अदालत ने ये देखते हुए कि मुंबई मेट्रो ने अदालत के अधिकार क्षेत्र को पार करने की कोशिश की है उस पर जुर्माना लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरे जंगल में मंजूरी से परे पेड़ों की कटाई के लिए दो हफ्ते के अंदर 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) की ओर से 84 से अधिक पेड़ों को काटने के लिए पेड़ प्राधिकरण को कहना गलत था.
शीर्ष अदालत ने, हालांकि, कंपनी को आरे जंगल से 177 पेड़ों को हटाने की मंजूरी देते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से सार्वजनिक परियोजना ठप हो जाएगी जो सही नहीं है. बेंच ने कहा, "एमएमआरसीएल को दो हफ्ते के अंदर वन संरक्षक को 10 लाख की राशि देनी चाहिए. संरक्षक यह सुनिश्चित करेगा कि सभी वनीकरण यानी जंगल लगाने का काम जो निर्देशित किया गया है, पूरा हो गया है."
कोर्ट ने कहा, "हम IIT बॉम्बे के निदेशक से अनुरोध करते हैं कि वे मंजूरी को सत्यापित करने के मकसद से एक टीम की नियुक्ति करें. इसके जरिए इस अदालत को तीन हफ्ते में एक रिपोर्ट दी जानी चाहिए,".
कानून के छात्र ने लिखा था पत्र
दरअसल साल 2019 में कानून के छात्र रिषभ रंजन ने भारत के चीफ जस्टिस को संबोधित करते हुए शीर्ष अदालत को एक पत्र लिखा था. इस पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस पत्र में छात्र रंजन ने अदालत से कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की थी.
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