नई दिल्ली: आपको मुन्नाभाई का हॉस्पिटल याद है? वहां नकली डॉक्टर बने मुन्ना ने अपने पिता को खुश करने के लिए हट्टे-कट्ठे लोगों को मरीज बना कर लिटा रखा था. ऐसा ही कुछ किया तेलंगाना के एक हॉस्पिटल ने. सुप्रीम कोर्ट ने फर्जीवाड़ा करने वाले इस हॉस्पिटल पर दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है.
विकराबाद के महावीर कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की टीम को प्रभावित करने के लिए स्वस्थ लोगों को मरीज बना कर भर्ती कर लिया था. MCI की टीम ये देखने पहुंची थी कि मेडिकल कॉलेज डॉक्टरी की शिक्षा देने लायक है या नहीं.
जांच के दौरान टीम ने कॉलेज में कई कमियां देखीं. इनमें इलाज के लिए ज़रूरी उपकरणों और बुनियादी सुविधाओं की कमी समेत कई बातें शामिल थीं. MCI की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को 2018-19 के लिए छात्रों का दाखिला लेने से रोक लिया.
इसके खिलाफ कॉलेज सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कॉलेज की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दावा किया कि MCI ने रिपोर्ट में बेवजह सख्ती बरती. उनका कहना था कि कॉलेज के हक में जाने वाली अहम बातों पर ध्यान नहीं दिया गया. कई ऐसी कमियां गिनाईं गईं जो असल में हैं ही नहीं.
जस्टिस एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि वो मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं की समीक्षा करने के लायक नहीं है. ऐसा करना विशेषज्ञों का काम है. विशेषज्ञ टीम ने जांच कर जो रिपोर्ट दी है, उसमें दखल देने की कोई वजह नज़र नहीं आती.
बेंच ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि कॉलेज ने MCI की टीम को धोखा देने की कोशिश की. उसने स्वस्थ लोगों को इसलिए भर्ती किया कि हॉस्पिटल अच्छी तरह चलता हुआ नज़र आए. इस धोखाधड़ी के लिए हम याचिकाकर्ता कॉलेज पर 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हैं."
यानी MCI को धोखा देने की कोशिश के बाद कोर्ट को भी गुमराह करने की नीयत से पहुंचे मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को चालाकी महंगी पड़ गयी. इस सत्र में 150 छात्रों को दाखिला देने का मौका तो पहले ही चला गया था, कोर्ट ने जुर्माना भी लगा दिया.
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