नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लखनऊ में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुकदमे को 31 अगस्त तक पूरा करने का आदेश दिया है. इस मामले में बीजेपी के बड़े नेता आरोपियों में शामिल हैं. इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल तक फैसला सुनाए जाने की समयसीमा तय की थी.
अदालत ने निर्देश दिया कि अगस्त के अंत तक मुकदमे को पूरा करें और फैसला दें. पीठ ने कहा, छह मई के ट्रायल जज एस. यादव के पत्र को ध्यान में रखते हुए हम 31 अगस्त तक सबूतों को पूरा करने और निर्णय देने की समयसीमा बढ़ाते हैं.
जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को छह महीने के अंदर सबूतों की रिकॉडिंग्स पूरी करने और नौ महीने के भीतर निर्णय देने का निर्देश दिया था. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज का कार्यकाल बढ़ाने के लिए प्रशासनिक आदेश जारी करने का भी निर्देश दिया था. जज 30 सितंबर 2019 को रिटायर होने वाले थे.
1992 में हुआ था बाबरी मस्जिद विध्वंस
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी एक घटना भी इतिहास के पन्नों में प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब उन्मादियों की एक भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इससे देश के दो संप्रदायों के बीच पहले से मौजूद रंजिश की दरार बढ़कर खाई में बदल गई. इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान हुआ.
बाबरी विध्वंस मामला लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अयोध्या में दो मुकदमे दर्ज किए गए थे. एक मुकदमा मस्जिद विध्वंस की साजिश रचने का था जबकि दूसरा केस मस्जिद तोड़ने के लिए भीड़ को उकसाने का बना. दिसंबर 1992 को जब विवादित मस्जिद तोड़ दी गई थी, अयोध्या में हजारों कारसेवक देशभर से आए थे.
किन-किन दिग्गजों की किस्मत है दांव पर
बीजेपी के दिग्गज नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह, सांसद साक्षी महाराज, बृजभूषण सिंह और 11 अन्य को दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के मामले में आपराधिक साजिश के आरोप में मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है.
कोर्ट में 1000 गवाहों में से 348 की गवाही पूरी हो चुकी है. राज्यपाल के पद से हटने के बाद सितंबर में कल्याण सिंह ट्रायल कोर्ट में पेशी हो चुकी है. जहां से उन्हें जमानत मिल गई. वर्तमान में ट्रायल कोर्ट अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश सबूतों पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई पूरी हो जाने के बाद आरोपियों का बयान रिकॉर्ड किया जाएगा. ट्रायल के दौरान कोर्ट में रखे गए सबूत की बुनियाद पर आरोपियों से कोर्ट सवाल करेगा. कोर्ट उन्हें अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब देने का मौका देगा. जवाबी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद बचाव पक्ष आरोपियों के समर्थन में सबूत पेश करेगा. अंत में कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले जिरह की कार्रवाई होगी.
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि- बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर फैसला सुनाया आया था. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना था कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी और अवैध था.
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