Supreme Court Today Hearing: सुप्रीम कोर्ट में आज अहम दिन, जबरन धर्म परिवर्तन और पूजा स्थल कानून के मुद्दे पर होगी सुनवाई
SC Hearing: जबरन धर्म परिवर्तन और पूजा स्थल कानून के मुद्दों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. दोनों मामलों में पिछले वर्ष के आखिर में सुनवाई हुई थी.
Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में आज (9 जनवरी) दो बड़े मामलों पर सुनवाई होगी. ये दो मुद्दे जबरन धर्म परिवर्तन (Forced Conversion) और पूजा स्थल कानून हैं. शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर कर जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग की गई है तो वहीं पूजा स्थल कानून (Places of Worship Act) को चुनौती दी गई है.
दोनों मामलों पर पिछले साल के आखिर में सुनवाई हुई थी. पूजा स्थल कानून के मुद्दे पर 14 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, वहीं जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर पिछली सुनवाई 5 दिसंबर को हुई थी.
पूजा स्थल कानून मामले पर पिछली सुनवाई
पूजा स्थल कानून पर सुनवाई को लेकर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी समेत छह याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है. ये याचिकाएं इस कानून के प्रावधानों को चुनौती देती हैं. बता दें कि पूजा स्थल कानून के अनुसार, धार्मिक स्थलों के 15 अगस्त 1947 के स्वरूप को बदलने के लिए मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है.
पूजा स्थल कानून को लेकर पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि मामले के अलग-अलग पहलुओं को उजागर करते हुए एक विस्तृत हलफनामा केंद्र की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल किया जाएगा. केंद्र के आग्रह पर 12 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है. साथ ही हलफनामे की कॉपी सभी वादियों को मुहैया कराने की बात कोर्ट ने कही थी. शीर्ष अदालत ने कहा था मामले पर अगली सुनवाई नौ जनवरी 2023 को होगी.
जबरन धर्म परिवर्तन का मामला
जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली याचिकाओं को लेकर 5 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मसला माना था. इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से एक विस्तृत हलफनामा मांगा था. हलफनामे में केंद्र ने जवाब दिया था कि लालच, धोखा और दबाव के चलते धर्म परिवर्तन कराना गंभीर मसला है. केंद्र ने अदालत के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए दलील दी थी कि धर्म के लिए प्रचार करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन जबरन धर्मांतरण कराना मौलिक अधिकार नहीं है. केंद्र की ओर से कहा गया था कि मामले पर जरूरी कदम उठाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से मामले को लेकर डिटेल जुटाए और विस्तृत हलफनामा दायर करे. जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि धर्म चुनने का अधिकार सभी को है लेकिन यह धर्मांतरण से नहीं होना चाहिए.
गुजरात सरकार दायर कर चुकी है हलफनामा
जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ गुजरात सरकार ने एक हलफनामा दायर किया हुआ है. इसमें जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने का समर्थन किया गया है. पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि इस मामले पर राज्यों से जानकारी मिल रही है, गुजरात में इसके खिलाफ एक कड़ा कानून है और केंद्र एक हफ्ते में सभी राज्यों से जानकारी इकट्ठा कर लेगा.
बता दें कि वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली याचिका दायर की है.
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