Lok Sabha Elections 2024: पीएम मोदी और राहुल गांधी को खुली बहस का न्योता, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों ने की ये मांग
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण से पहले पीएम मोदी और राहुल गांधी को खुली बहस का न्योता दिया गया है. एक चिट्ठी में दोनों नेताओं से खुली बहस की अपील की गई है.
Lok Sabha Elections 2024: देश की जानी-मानी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ओपन डिबेट का न्योता दिया. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजीत पी शाह और द हिंदू के पूर्व एडिटर इन चीफ एन राम की ओर से दोनों नेताओं को खुली बहस के लिए निमंत्रण भेजा गया है.
इस चिट्ठी में कहा गया कि हमारा मानना है कि एक सार्वजनिक बहस के माध्यम से हमारे राजनीतिक नेताओं को सीधे सुनने से नागरिकों को अत्यधिक लाभ होगा. हमारा मानना है कि इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को काफी मजबूत करने में मदद मिलेगी.
क्या लिखा है चिट्ठी में?
पूर्व जज मदन बी लोकुर, पूर्व जज एपी शाह और वरिष्ठ पत्रकार एन राम की ओर से दोनों नेताओं को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया कि आपने विभिन्न क्षमताओं के जरिए देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है. हम आपके पास एक ऐसे प्रस्ताव के साथ आ रहे हैं, जिसके बारे में हमारा मानना है कि यह पक्षपातपूर्ण नहीं है और प्रत्येक नागरिक के व्यापक हित में है. 18वीं लोकसभा का आम चुनाव अपने मध्य बिंदु पर पहुंच चुका है. रैलियों और सार्वजनिक संबोधनों के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के सदस्यों ने हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के मूल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं.
पीएम मोदी और खरगे के बयानों का किया जिक्र
पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने आरक्षण, आर्टिकल 370 और धन पुनर्वितरण पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान, चुनावी बॉन्ड योजना और चीन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री से सवाल किया है और उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी है. दोनों पक्षों ने अपने-अपने घोषणापत्रों के साथ-साथ सामाजिक न्याय की संवैधानिक रूप से संरक्षित योजना पर उनके रुख के बारे में एक-दूसरे से सवाल पूछे हैं.
आरोप-प्रत्यारोप पर जताई चिंता
पत्र में आगे कहा गया कि जनता के सदस्य के रूप में हम चिंतित हैं कि हमने दोनों पक्षों से केवल आरोप और चुनौतियां सुनी हैं और कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली. जैसा कि हम जानते हैं कि आज की डिजिटल दुनिया गलत सूचना, गलत बयानबाजी और हेरफेर की प्रवृत्ति रखती है. इन परिस्थितियों में यह सुनिश्चित करना मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है कि जनता को बहस के सभी पहलुओं के बारे में अच्छी तरह से शिक्षित किया जाए, ताकि वे मतपत्रों में एक सूचित विकल्प चुन सकें. यह हमारे चुनावी मताधिकार के प्रभावी अभ्यास का केंद्र है.
मिसाल बनेगी सार्वजनिक बहस
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि इन मुद्दों पर दोनों नेताओं की ओर से सार्वजनिक बहस की जाए, जिससे जनता को कई फायदे होंगे. वे दोनों नेताओं के विचारों को सीधे सुनकर खुद तय कर सकेंगे कि किसे अपना समर्थन देना है. इससे राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ेगी और लोग ज्यादा जानकारी के साथ वोट डाल सकेंगे. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और पूरी दुनिया हमारे चुनावों पर उत्सुकता से नजर रखती है. इसलिए, इस तरह की सार्वजनिक बहस एक बड़ी मिसाल कायम करेगी.