Supreme Court Foundation Day 2023: अपनी स्थापना के 73 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार स्थापना दिवस समारोह मनाया. कार्यक्रम में सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरेश मेनन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ समेत कोर्ट के सभी जजों की उपस्थिति में हुए कार्यक्रम में पूरी दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका और उसकी चुनौतियों पर चर्चा हुई.
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने के 2 दिन बाद, 28 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट की शुरुआत हुई, अब तक इस अवसर पर कोई सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने तय किया है कि कोर्ट का स्थापना दिवस समारोह हर साल मनाया जाएगा.
'संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगा'
सुप्रीम कोर्ट परिसर में आज हुए कार्यक्रम में सभी जजों के अलावा कई पूर्व चीफ जस्टिस और जज भी मौजूद रहे. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस अवसर पर भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हरिलाल जे. कनिया को याद किया. उन्होंने कहा कि जस्टिस कनिया ने शुरू में ही सुप्रीम कोर्ट की भूमिका स्पष्ट की थी. उन्होनें कहा था कि सुप्रीम कोर्ट संविधान की व्याख्या करने के साथ संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगा.
क्या दोहराया?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि शुरू में सुप्रीम कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद सिर्फ 8 थे. किसी कोर्ट रूम में भी सुनवाई के दौरान 5-6 वकील ही मौजूद रहते थे. आज कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 34 है. कोर्ट रूम ही नहीं, बाहर का गलियारा तक वकीलों से भरा रहता हैय पिछले 3 महीनों में उच्चतम न्यायालय ने 12,471 मुकदमों का निपटारा किया है. चीफ जस्टिस ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता को दोहराया.
सुप्रीम कोर्ट पहले कहां से काम करता था?
अपने संबोधन के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान इमारत के उद्घाटन के मौके को भी याद किया/ इसका शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने 1954 में किया था. निर्माण पूरा होने के बाद उद्घाटन भी उन्होंने ही किया थ/। उससे पहले संसद भवन के एक हिस्से से सुप्रीम कोर्ट काम करता था.
'भरोसा बने रहना बहुत ज़रूरी'
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरेश मेनन ने पूरे विश्व में न्यायपालिका के सामने एक समान चिंताएं हैं/ उसे राजनीतिक और सामाजिक विवादों का निपटारा इस तरह से करना है कि लोगों का विश्वास बना रहे, न्याय प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा बना रहना बहुत ज़रूरी है.
क्या चिंता जताई?
सिंगापुर केमुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कोविड महामारी के दौरान दुनिया भर में न्यायपालिका ने नई चुनौतियों का सामना किया. स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े मामले अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होते हैं. इस पर सभी देशों की न्यायपालिका को सामंजस्य के साथ काम करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि विश्व की 1 अरब से ज़्यादा आबादी की अभी भी अदालतों तक पहुंच नहीं है.
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