नई दिल्ली: निर्भया के हत्यारों को एक और तारीख मिल गई है. निर्भया की मां का इंतजार और भी बढ़ गया है. निर्भया के दोषियों का एक बार फिर डेथ वारंट जारी नहीं हुआ है. अदालत ने जैसे ही 17 फरवरी की तारीख दी निर्भया की मां अदालत में ही भावुक हो गईं और कहा, "मैं हर तारीख पर एक उम्मीद के साथ आती हूं लेकिन हर तारीख के बाद वो उम्मीद टूट जाती है, एक और एक और नई तारीख मिल जाती है. आखिर ये कब तक चलेगा."


सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने का जिक्र कर सुनवाई टालने की मांग


मामले की सुनवाई के दौरान दोषी विनय के वकील ने अदालत को बताया कि विनय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला लंबित है जो कल सुनाया जाएगा. लिहाजा अदालत उस फैसले के आने का इंतजार करे और तब तक कोई डेथ वारंट जारी ना करे. इससे पहले विनय ने राष्ट्रपति द्वारा खारिज की गई दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोषी विनय के वकील ने एक नई चाल चली. दोषी विनय के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "जब से विनय को फांसी की सजा का पता चला है उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई है. लिहाजा इस आधार पर उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया जाना चाहिए, क्योंकि कानून के मुताबिक किसी भी मानसिक रोगी को फांसी नहीं दी जा सकती."


पवन को मिला नया वकील, नए वकील को केस समझने के लिए चाहिए होगा वक्त


इस सबके बीच में पवन की तरफ से कोर्ट में जानकारी दी गई कि उसको कोर्ट द्वारा दी गई लिस्ट में से कोई वकील नहीं चाहिए. जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी की तरफ से दिए गए वकील रवि काज़ी को पवन का वकील नियुक्त किया. कोर्ट का कहना था कि भले ही एक दोषी अपने मौलिक अधिकार लेने से इनकार करें लेकिन अदालत उसको वकीला मुहैया न कराकर उसके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकती लिहाजा पवन को वकील मुहैया कराया जा रहा है.


इससे पहले पवन के वकील ने यह कहते हुए पवन का केस छोड़ दिया कि अब वह पवन की तरफ से पेश नहीं होना चाहते हैं. पवन के वकील की इस चाल को केस में देरी करने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा सकता है, क्योंकि अब मामले में नया वकील आएगा और वह फिर सारे तथ्य समझने के लिए और वक्त लेगा जिससे और वक्त बर्बाद होगा.


निर्भया की मां को मिली एक और तारीख


दोषियों की दलील के खिलाफ सरकारी वकील ने और जेल प्रशासन ने दलील देते हुए कहा, "दोषियों के पास 2017 के बाद से वक्त ही वक्त था, पर यह लोग लगातार वक्त बर्बाद करने से इरादे से कार्रवाई करते रहे हैं. अब अगर एक पल की भी देरी हुई तो जनता के बीच भारी अशांति फैल सकती है, लिहाजा इनके खिलाफ जल्द से जल्द फांसी की सजा होनी चाहिए, लेकिन अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने की बात कहकर मामले की अगली तारीख 17 फरवरी की तय कर दी जिसके एक बार फिर निर्भया की मां को एक नई तारीख मिल गई.


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