राजधानी में कूड़े की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 दिसबंर, 2024) को दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की क्लास लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि हर दिन तीन हजार टन कूड़ा अनट्रीटेड रह जाता है. यानी उसको नष्ट नहीं किया जाता. उन्होंने इस स्थिति को शर्मनाक बताते हुए चीफ सेक्रटरी से पूछा कि इससे निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है और कब तक इस स्थिति से निपटा जाएगा. दिल्ली में हर दिन 11 हजार टन कूड़ इकट्ठा होता है और 8 हजार 'v को नष्ट कर दिया जाता है जबकि तीन हजार टन कूड़ा हर रोज नष्ट करने से रह जाता है. कोर्ट को इस पर भी आपत्ति है कि कई गाजीपुर और भलसवा जैसी जगहों पर कूड़े को नष्ट करने के लिए आग जलाई जाती है. कोर्ट ने कहा कि ये स्थिति बेहद खतरनाक और शर्मनाक है कि राजधानी में ऐसा हो रहा है इसलिए कोर्ट में बेकार की हीटेड डिबेट करने का कोई मतलब नहीं है.


जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने इस पर निराशा जताई कि न तो प्रशासन कूड़े को नष्ट करने के लिए अच्छे तरीके ढूंढ पा रहा है और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को लागू किया जा रहा है. कोर्ट ने कूड़े को अवैध तरीके से डंप करने पर भी नाराजगी जताई. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से गाजीपुर और भलसवा में डंप किए जाने वाले 3,800 टन कूड़े को लेकर 15 जनवरी, 2025 तक एफिडेविट देने को कहा है, जिसमें इन जगहों पर आग को रोकने और पर्यावरणीय नुकसान को रोकने लिए किए गए उपायों की रूपरेखा दी गई हो. कोर्ट 17 जनवरी को हलफनामे का रिव्यू करेगा. कोर्ट ने सरकार से ये भी बताने को कहा है कि पिछले एक साल में कितने ऐसे मामले हैं, जिनमें कूड़े को नष्ट करने के लिए आग का इस्तेमाल किया गया. कोर्ट ने इसे पर्यावरण के लिए गलत बताते हुए सरकार से जानकारी मांगी है. 


दिल्ली चीफ सेक्रेटरी सुनवाई के दौरान वर्चुअली शामिल हुए थे और उन्होंने कहा कि 11 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को लागू करने पर विचार चल रहा है. जस्टिस अभय ओका ने उनसे इस पर विस्तृत जानकारी देने के कहा है कि दिल्ली में हर दिन कितना कूड़ा जेनरेट हो रहा है और कब तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को लागू किया जाएगा. जज ने कहा, 'आप कह रहे हैं कि प्रशासन सॉलिट वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के अनुसार कूड़े को नष्ट करने के लिए सुविधाएं स्थापित करने की बात कर रहे हैं, लेकिन तब तक कूड़ा भी तो बढ़ा जाएगा. आप कब तक इसे लागू करेंगे?' कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से कहा कि हमने अभी के लिए एफडेविट नहीं मांगा है, इसमें आपको 2027 और 2028 तक का प्लान बताना होगा कि सरकार के पास वैध तरीके से कूड़े को डंप करने के लिए क्या उपाय हैं.


एमसीडी की तरफ से एडवोकेट मेनकी गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि कूड़े को नष्ट करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. हालांकि, जस्टिस अभय ओका संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा, 'अगर इतनी ही गंभीरता से काम हो रहा है तो दिल्ली सरकार और एमसीडी थोड़े समय के लिए कंस्ट्रक्शन रोक क्यों नहीं देते हैं. हम टुकड़ों में जांच नहीं करेंगे कि एमसीडी क्या कर रही है और दूसरे क्या कर रहे हैं.' इस दौरान जस्टिस ओका दिल्ली चीफ सेक्रेटरी पर भड़क गए और कहा कि वह तो कोर्ट के आदेश की परवाह भी नहीं करते हैं और न ही इसका अनुपालन दाखिल करने की जहमत उठाते हैं. 


 


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