सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (6 सितंबर, 2024) को बंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुंबई में सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास या अनौपचारिक मैच के दौरान क्रिकेट खिलाड़ियों को पेयजल और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश देने संबंधी याचिका का निपटारा किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हुए पूछा कि आपका इन समस्याओं से क्या लेना देना है. इन मुद्दों को खिलाड़ी खुद देख लेंगे. इस मामले पर जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच सुनवाई कर रही थी.
जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ ने कहा, 'यह किस तरह की जनहित याचिका है? अगर क्रिकेटरों के लिए शौचालय नहीं हैं तो वे खुद ही इसे देखेंगे. किसी वकील को इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए?'
बेंच एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने पिछले साल जून में उसकी याचिका का निपटारा कर दिया था. वकील ने हाईकोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका में मुंबई क्रिकेट संघ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास या अनौपचारिक मैच के दौरान खिलाड़ियों को पेयजल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश देने संबंधी अनुरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आपने जो तस्वीरें अटैच की हैं जरा उन्हें देखिए. मुंबई के इन मैदानों ने महानतम क्रिकेटर दिए हैं....' बेंच ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या वह मुख्य रूप से क्रिकेटर हैं या वकील? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा, 'मैं वकील हूं.'
पीठ ने कहा, 'जनहित याचिका में ये किस प्रकार की अपील की गई है. आप चाहते हैं कि मुंबई के विभिन्न मैदानों में क्रिकेटरों को शौचालय उपलब्ध कराए जाएं.' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही था कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं हैं.