सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 नवंबर, 2024) को उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को निर्देश दिया कि उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए जिसका घर 2019 में सड़क चौड़ी करने के लिए गिरा दिया गया था. कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के रुख पर अप्रसन्नता भी जताई और कहा कि आपका ये करना गलत है कि बुलडोजर लेकर आए और रातोंरात किसा का घर ढहा दिया.


भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कहा कि महाराजगंज जिले में अवैध तरीके से मकान गिराने से संबंधित मामले की जांच कराई जाए.


बेंच 2019 में सड़क चौड़ी करने की एक परियोजना के लिए मकान गिराए जाने से संबंधित मामले में सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा, 'आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातों रात मकान गिरा दें.' मनोज तिबरवाला आकाश ने साल 2020 में सुओ मोटो रिट पेटीशन दाखिल की थी. 2019 में सड़क चौड़ी करने के दौरान उनका घर ढहा दिया गया. याचिका से कोर्ट को यह भी पता चला कि सरकारी प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ 3.70 मीटर से अतिक्रमण हटाया जाना था, लेकिन 8-10 मीटर से भी ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया गया.


कोर्ट को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता को पहले से कोई नोटिस भी नहीं भेजा गया. सिर्फ इलाके में ड्रम बजाकर इसका ऐलान किया गया था. कोर्ट ने अधिकारियों के इस रुख को गलत बताया है.  रोड-वाइडनिंग एक्सरसाइज में कानून में उचित प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशा-निर्देशों निर्धारित किए गए हैं.


1. अभिलेखों और मैप के अनुसार सड़क की चौड़ाई का पता लगाना
2. मैप के जरिए किसी भी सड़क का अतिक्रमण हटाने से पहले सर्वेक्षण या सीमांकन जरूर किया जाए.
3. अतिक्रमण पाए जाने पर अतिक्रमणकारी को नोटिस भेजा जाए.
4. अगर अतिक्रमणकारी नोटिस पर आपत्ति जताता है तो उसका फैसला न्याय के अनुरूप मौखिक आदेश के जरिए किया जाए.
5. अगर आपत्ति खारिज कर दी जाती है तो उस व्यक्ति को एक नोटिस भेजा जाएगा.
6. अगर अतिक्रमणकारी नोटिस के अनुरूप कार्य नहीं करता है तो कोई सक्षम अधिकारी एक्शन ले सकते हैं.
7. अगर सड़क की चौड़ाई और उसके आस-पास का एरिय परियोजना के अनुसार सड़क चौड़ी करने के लिए पर्याप्त नहीं है तो राज्य को सड़क चौड़ीकरण कार्य शुरू करने से पहले कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए कदम उठाने होंगे. 


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