सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 दिसंबर, 2024) को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन पर चिंता जताई और कहा कि यह दयनीय है. हाईकोर्ट के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये पेंशन मिल रही है. जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा, 'आप हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते. कभी-कभी आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है.'
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन से संबंधित एक याचिका बुधवार को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि इस पर जनवरी में सुनवाई की जाए.
आर. वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी. बेंच ने कहा, 'बेहतर होगा कि आप उन्हें (सरकार को) समझाएं कि (इस मामले में) हमारे हस्तक्षेप से बचा जाए तो बेहतर है.' बेंच ने कहा कि मामले का फैसला व्यक्तिगत मामलों के आधार पर नहीं किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट जो भी आदेश देगी, वह सभी हाईकोर्ट के जजों पर लागू होगा.
सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की. पिछले महीने इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि हाईकोर्ट के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 6,000 से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिल रही है.
एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने यह याचिका दाखिल की थी. जज ने कहा था कि उन्हें 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है. याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
पीठ ने कहा था, 'हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है. ऐसा कैसे हो सकता है?' मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिला अदालत से पदोन्नत हुए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पेंशन लाभों की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए.
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